इस्लाम धर्म में मुख्य रूप से दो ईद मनाई जाती है पहली जिसे मीठी ईद के नाम से जाना जाता हैं और दूसरी जिसे बकरीद के नाम से जाना जाता हैं। अभी के समय में बकरीद मनाई जा रही है, जिसे 'ईद-उल-जुहा' के नाम से भी जाना जाता हैं। इस्लाम धर्म का खास त्यौहार ‘ईद-उल-जुहा’ दुनिया भर में मनाया जाता है। यह त्योंहार आते ही सभी में हर्षोल्लास भर देता हैं। इसे बकरीद के नाम से इसलिए जाना जाता है, क्योंकि इस दिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस्लाम धर्म में इस कुर्बानी का ख़ास महत्व होता है, लेकिन इसी के साथ ही कुर्बानी का ओर भी मतलब होता हैं। आइये जानते हैं।
* कुर्बानी का सही अर्थ
दरअसल इस्लाम, क़ौम से जीवन के हर क्षेत्र में कुर्बानी मांगता है। इस्लाम के प्रसार में धन व जीवन की कुर्बानी, नरम बिस्तर छोड़कर कड़कड़ाती ठंड या जबर्दस्त गर्मी में बेसहारा लोगों की सेवा के लिए जान की कुर्बानी भी खास मायने रखती है।
* हर एक मुस्लिम का धर्म है कुर्बानी
कुर्बानी का असली मतलब यहां ऐसे बलिदान से है जो दूसरों के लिए दिया गया हो। परन्तु इस त्यौहार के दिन जानवरों की कुर्बानी महज एक प्रतीक है। असल कुर्बानी हर एक मुस्लिम को अल्लाह के लिए जीवन भर करनी होती है।