अगर मन में उठते है अश्लील विचार तो इन उपायों से मिलेगी उनसें मुक्ति

मनुष्य की सोच परिवर्तनशील होती हैं जो समय-समय पर माहौल के हिसाब से बदलती रहती हैं। कई बार ऐसा समय आ जाता हैं जब हमारे चारों और सभी चीजें नकारात्मक हो रही होती हैं जिससे हमारे मन में गलत विचारों का आगमन होने लगता हैं। ऐसे भाव मनुष्य की प्रगति में बाधक बनते हैं। नकारात्मक विचार मन में जितने अधिक होंगे अवसाद की समस्या भी उतनी बढ़ती जाएगी। ऐसे में उन्हें किसी भी तरह से दूर किया जाना चाहिए। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही ज्योतिषीय उपाय जिन्हें अपनाकर आप इन गलत विचारों को खुद से दूर कर सकें। आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।

* अश्लील विचारों से निजात पाने की राह में सबसे पहला उपाय अध्यात्म से जुड़ा है। जब जिंदगी के किसी मोड़ पर आगे बढ़ने का दरवाज़ा बंद हो जाता है और हमें कोई उपाय समझ नहीं आता, तो परमात्मा रूपी ज्ञान ही हमें उस दुविधा से बाहर निकालने में सहायक साबित होता है। यदि संसार में उच्चत्तम शक्ति का कोई रूप है तो वह है स्वयं भगवान, लेकिन भगवान के बाद यदि किसी रूप में सबसे ज्यादा शक्ति है तो वो है प्रभु द्वारा रची गई बानी। आप चाहे किसी भी धर्म से नाता रखते हों - हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, यह महत्व नही रखता, यदि कुछ महत्त्व रखता है तो प्रभु की बानी। जिसका ज्ञान लेने से आप अपने कष्ट से बाहर आ सकते हैं।

* बुरे विचार के प्रवेश को रोकने का दूसरा उपाय यह है कि मनुष्य सदा अपने आपको किसी न किसी भले काम में लगाए रहें। श्रीमद्भागवत् में जो मन रूपी भूत को वश में करने का उपाय बताया गया है वह बड़ा ही शिक्षाप्रद है। मन को सर्वदा नेक कामों में लगाये रहने से ही वह बस में रहता है।

* “ॐ श्री दुर्गायै नमःॐ नम: शिवाय - 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” इस मंत्र का उच्चारण एक साथ करना ही अनिवार्य है। मान्यता है कि इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह मनुष्य को अपनी ओर खींचते हैं। इनका उच्चारण मात्र करने से मनुष्य प्रभु की लीला में लीन हो जाता है और अपने दिमाग में कुछ समय पहले चल रही सभी बातों को भूल जाता है। इस मंत्र को मात्र सुनने से भी लाभ होता है।

* उच्चारण के साथ यदि एक उचित आसन ग्रहण कर मंत्रों का जाप किया जाए तो मन को अत्यंत शांति प्राप्त होती है। इसके लिए न्यास नामक एक आसन प्रचलित है जिसे रोजाना करने से एक चमत्कारी संतोष प्राप्त होता है। न्यास आसन काफी आसान है। इसके लिए अपने दाहिने हाथ की पांचों अंगुलियों को जोड़ें। फिर उसे अपने शरीर के मध्य चक्र यानी कि जहां सभी चक्रों का केन्द्र है, वहां ले जाएं। यहां हाथ लाने के बाद उपरोक्त बताए गए मंत्रों का जाप करें। जाप करते समय सभी शारीरिक चक्रों को महसूस करें, अंतर आत्मा को महसूस करें। धीरे-धीरे आपको अपने शरीर की एक खास ऊर्जा का आभास होगा। यह ऊर्जा शरीर में मौजूद सभी इंद्रियों को संतोष प्रदान करेगी।