श्रावण का यह महीना शिवभक्ति और इस महीने में किए गए उपायों के लिए माना जाता हैं। माना जाता है कि सावन के इस महीने में भगवान शिव खुद धरती पर आते हैं और भक्तों के दुखों को समाप्त करते हैं। श्रावण माह में अत्यधिक वर्षा होती है, जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है, इसीलिए शिव को प्रसन्न करने के लिए उनका जलाभिषेक किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सावन के इस महीने में भगवान शिव केवल जल की चार बूँदें चढाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। और इसके बदले में वे हमें कई सुख प्रदान करते हैं।
भगवान शंकर जल की चार बूंदें चढ़ाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को चार बूंदों के बदले चार फर्ज-अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष प्रदान करते हैं। भगवान शंकर को जल चढ़ाने से परम शान्ति मिलती है।
समुद्र मंथन से निकले विष का शिव जी ने पान किया था इसलिए शिव के शरीर का ताप बहुत बढ़ गया था और उस ताप को शीतलता प्रदान करने के लिए इन्द्रदेव ने मूसलाधार वर्षा कराई। इससे भगवान शंकर के विष का ताप समाप्त हो गया और उन्हें शान्ति मिली। श्रावण मास में भगवान शंकर को जल चढ़ाने से जीवन के विष यानी समस्याओं का निदान होता है।
जन्म कुण्डली में काल सर्प दोष वाले जातकों को श्रावण मास में भगवान् शिव की विशेष पूजा-अर्चना, व्रत, उपवास, शिव चालीसा, रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। अत: हमें कम से कम सावन मास में शिव आराधना करते हुए शिवजी को चार बूंद जल अवश्य अर्पित करना चाहिए। इससे हमें अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।