आज कि युवा पीढ़ी भूत-प्रेत कि उपस्थिति को एक अन्धविश्वास मानती हैं। लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जिस तरह से संसार में सकारात्मक उर्जा भगवान के रूप में उपस्थित हैं, उसी तरह नकारात्मक उर्जा भूत-प्रेत के रूप में उपस्थित हैं। कभी ऐसा समय आता है जब यह भूत-प्रेत हमें या परिवारजनों को परेशान करने लगते हैं, जिसे प्रेतबाधा के नाम से जाना जाता हैं। आज हम आपको उसी प्रेतबाधा से मुक्ति पाने के ज्योतिषीय उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं प्रेतबाधा से मुक्ति के उपाय के बारे में।
* ॐ या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लॉकेट गले में पहने और घर के बाहर एक त्रिशूल में जड़ा ॐ का प्रतीक दरवाजे के ऊपर लगाएं। सिर पर चंदन, केसर या भभूति का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांध कर रखें।
* यदि किसी को प्रेत सताता हो, तो शनिवार के दिन काले धतूरे की जड़ लाकर रोगी की दाहिनी भुजा में बाँध दें। प्रेत उसे सताना छोड़ देगा। यदि रोगी स्त्री हो, तो धतूरे की जड़ उसकी बायीं भुजा में बांधें।
* अशोक वृक्ष के सात पत्ते मंदिर में रख कर पूजा करें। उनके सूखने पर नए पत्ते रखें और पुराने पत्ते पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। यह क्रिया नियमित रूप से करें, आपका घर भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष आदि से मुक्त रहेगा।
* हनुमान चालीसा और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें और हनुमान मंदिर में हनुमान जी का श्रृंगार करें व चोला चढ़ाएं।
* खस, चन्दन, कांगनी , नागर तथा लाल चन्दन और कूट इन सबको मिलाकर लेप बनाएं। यह लेप हर प्रकार की भूत-प्रेतबाधा को दूर करता है।
* हींग को लहसुन के पानी में पीसकर रोगी को नाक में सुंघाएं अथवा आँखों में काजल की भाँती लगाएं। उस पर जिस प्रकार का भी भूत-प्रेत का प्रभाव होगा वह दूर हो जाएगा।
* तुलसी के पत्ते व काली मिर्च के दाने आठ-आठ की संख्या में तथा सहदेवी की जड़ रविवार के दिन पवित्र होकर लाए और इन तीनों को कपडे में करके रोगी को गले में धारण करा दें। इससे ऊपर की प्रेतबाधा अवश्य शांत होगी।
* गणेश भगवान को एक पूरी सुपारी रोज चढ़ाएं और एक कटोरी चावल दान करें। यह क्रिया एक वर्ष तक करें, नजर दोष व भूत-प्रेत बाधा आदि के कारण बाधित सभी कार्य पूरे होंगे।
* काले तिल पांच छटांक, सात प्रकार के अनाज सात छटांक, सात प्रकार की दाल सात छटांक, काले उड़द पांच छटांक तथा सवा गज कोरा काला कपडा इन सब वस्तुओं को काले रंग के कपडे में बांधकर (सवा गज कपडा सामान के साथ वाला हो ) रोगी के ऊपर से उतारकर घर से दूर के किसी भैरों के मंदिर में रखवा दें।
* उड़द की दाल के बड़े, दही के साथ (पांच, सात या ग्यारह की संख्या में) मिलाकर और रोगी के ऊपर से उतारकर घर से बाहर लाकर किसी काले कुत्ते को खिला दें। वो कुत्ता आपका पालतू नहीं होना चाहिए।
* चांदी की एक छोटी-सी पुतली (उसका भार चाहे आधा तोला से भी कम हो बनवा लें। इसके बाद एक पाँव शककर , एक किलो चावल, कोई एक लाल कपडा, एक नारियल ये सब वस्तुएं रोगी के ऊपर से उतारकर मरघट में रखवा दें। यह क्रिया रात में की जानी चाहिए।