पशु हो चाहे पक्षी दोनों ही इन्सान के मित्र के रूप में जाने जाते है। इनमे से कुछ इतने करीब होते है की वह इन्हें पालते है। कुछ पशु ऐसे होते है जिन्हें आर्थिक तौर पर पाला जाता है तो कुछ को शोकिया तौर पर पाला जाता है। इनमे से एक है कुत्ता जिसे बहुत से घरो में देखा जा सकता है। कुत्ते बहुत वफादार होते हैं और ये घरों की रखवाली भी बखूबी करते हैं। हिंदू धर्म में पशु-पक्षियों को लेकर शकुन-अपशकुन की कईं मान्यताएं प्राचीन समय से चली आ रही है। इनमें से कुछ मान्यताएं कुत्तों से भी जुड़ी हैं। कुत्ते को शगुन शास्त्र में शगुन रत्न कहा गया है, क्योंकि कुत्ता इंसानों के काफी करीब होता है। शगुन शास्त्र के अनुसार कुत्ते के क्रिया-कलापों को देखकर भविष्य में होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है। तो आइये जानते है कुत्तो से शगुन और अपशगुन किस प्रकार जुड़ा है......
# शगुन शास्त्र के अनुसार कुत्ता यदि अचानक धरती पर अपना सिर रगड़े और यह क्रिया बार-बार करे तो उस स्थान पर गड़ा धन होने की संभावना होती है।
# यदि यात्रा करते समय किसी व्यक्ति को कुत्ता अपने मुख में रोटी, पूड़ी या अन्य कोई खाद्य पदार्थ लाता दिखे तो उस व्यक्ति को धन लाभ होने की संभावना बनती है।
# यदि किसी रोगी के सामने कुत्ता अपनी पूंछ या ह्रदय स्थल बार-बार चाटे तो शगुन शास्त्र के अनुसार बहुत ही जल्दी उस रोगी की मृत्यु होने की संभावना रहती है।
# यदि किसी स्थान पर बहुत से कुत्ते एकत्रित होकर भौंके तो वहां रहने वाले लोगों पर कोई बड़ी विपत्ति आती है या फिर वहां के लोगों में भयंकर लड़ाई-झगड़ा होता है।
# यदि किसी व्यक्ति की चारपाई के नीचे घुसकर कुत्ता भौंकता है तो उस चारपाई पर सोने वाले को रोग और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
# कुत्ता यदि अपनी जीभ से अपने दाहिने अंग को चाटता है अथवा खुजलाता है तो ये कार्य सिद्धि की सूचना है या जीभ से पेट को छूता हुआ दिखाई दे तो लाभ होता है।
# यात्रा पर जाते समय कुत्ता जूते लेकर भाग जाए या किसी ओर के जूते लेकर सामने आ जाए तो निश्चित रूप से उस व्यक्ति के धन को चोर चुरा सकते हैं।