Bakrid 2018 : इस्लाम के पाँच स्तंभ मुसलमानों के लिए पाँच संकल्प की तरह

बकरीद Bakrid 2018 का त्योंहार आ चूका हैं जिसे मुस्लिम सम्प्रदाय में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। इस त्योंहार के साथ ही इस समय में हज यात्रा भी शुरू हो जाती हैं। इस हज यात्रा में मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग सऊदी अरब के मक्का शहर में स्थित काबा को जाते हैं। जिसे इस्लाम में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। यह प्राचीन धार्मिक अनुष्ठान दुनिया भर के मुसलमानों के लिए काफ़ी अहम स्थान रखता है। ऐसा कहा जाता है कि हर मुसलमान को अपने जीवन में हज यात्रा पर जाना जरूरी हैं। ऐसा क्यों है आइये जानते हैं।

इस्लाम के कुल पाँच स्तंभों में से हज पांचवां स्तंभ है। सभी स्वस्थ और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों से अपेक्षा होती है कि वो जीवन में एक बार हज पर ज़रूर जाएं।हज को अतीत के पापों को मिटाने के अवसर के तौर पर देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि हज के बाद उसके तमाम पिछले गुनाह माफ़ कर दिए गए हैं और वो अपनी ज़िंदगी को फिर से शुरू कर सकता है। ज़्यादातर मुसलमानों के मन में जीवन में एक बार हज पर जाने की इच्छा होती है।

जो हज का ख़र्च नहीं उठा पाते हैं उनकी धार्मिक नेता और संगठन आर्थिक मदद करते हैं। कुछ मुसलमान तो ऐसे भी होते हैं जो अपनी ज़िंदगी भर की कमाई हज पर जाने के लिए बचाकर रखते हैं। दुनिया के कुछ हिस्सों से ऐसे हाजी भी पहुंचते हैं जो हज़ारों मील की दूरी महीनों पैदल चलकर तय करते हैं और मक्का पहुंचते हैं।

मुसलमानों के लिए इस्लाम के पाँच स्तंभ काफ़ी मायने रखते हैं। ये स्तंभ पाँच संकल्प की तरह हैं। इस्लाम के मुताबिक़ जीवन जीने के लिए ये काफ़ी अहम हैं। ये हैं इस्लाम के पांच स्तंभ

तौहीद - यानी एक अल्लाह और मोहम्मद उनके भेजे हुए दूत हैं इसमें हर मुसलमान का विश्वास होना।

नमाज़ - दिन में पाँच बार नियम से नमाज़ अदा करना।

रोज़ा - रमज़ान के दौरान उपवास रखना।

ज़कात - ग़रीबों और ज़रूरतमंद लोगों को दान करना।

हज - मक्का जाना।