भाग्य रेखा बदलती है किस्मत

शास्त्रों के अनुसार संसार में जो भी आया है उसका भाग्य जरूर होता है। भाग्य रेखा की बनावट पर निर्भर करता है कि व्यक्ति भाग्यशाली है या दुर्भाग्यशाली। हथेली में मध्यमा उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है इसे ही भाग्यस्थान माना जाता है। हथेली में कहीं से भी चलकर जो रेखा इस स्थान तक पहुंचती है उसे भाग्य रेखा कहते हैं। जिनकी हथेली में कलाई के पास से कोई रेखा सीधी चलकर शनि पर्वत पर पहुंचती है वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति बहुत ही अधिक महत्वाकांक्षी और लक्ष्य पर केन्द्रित रहने वाला होता है।

शनि पर्वत पर पहुंचकर रेखा अगर बंट जाए और गुरू पर्वत यानी तर्जनी उंगली के नीचे पहुंच जाए तो व्यक्ति दानी एवं परोपकारी होता है। शर्त यह है कि इस रेखा को कोई अन्य रेखा काटती नहीं हो। जिस स्थान पर भाग्य रेखा कटी होती है जीवन के उस पड़ाव में व्यक्ति को संघर्ष और कष्ट का सामना करना पड़ता है। भाग्य रेखा लंबी होकर मध्यामा के किसी पोर तक पहुंच जाए तो परीश्रम करने के बावजूद सफलता उससे कोसों दूर रहती है। अंगूठे के नीचे जीवन रेखा से घिरा होता शुक्र पर्वत। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार अगर इस स्थान से कोई रेखा निकलकर शनि पर्वत पर पहुंचता है तो विवाह के बाद व्यक्ति को भाग्य का सहयोग मिलता है। ऐसा व्यक्ति किसी कला के माध्यम से प्रगति करता है। हथेली के मध्यम में मस्तिष्क रेखा से निकलकर कोई रेखा शनि पर्वत तक जाना बहुत ही उत्तम होता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार ऐसा व्यक्ति सामान्य परिवार में जन्म लेकर भी अपनी योग्यता और लगन से सफलता के शिखर पर पहुंच जाता है।
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