तुलसी विष्णु प्रिया हैं। कार्तिक में तो तुलसी पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता
है। अगर कोई अपने मन की बात, भगवान को सीधे न कह सके, तो वह तुलसी के माध्यम
से अपनी बात, भगवान तक पहुंचा सकता है। भगवान कृष्ण भी किसी की बात सुनें या न
सुनें, लेकिन तुलसी जी की बात, हर हाल में सुनते हैं। तो अगर आपको सुख, दु:ख
भगवान से शेयर करना हो तो उसके लिये पुराणों में बताई गई विधि से, तुलसी माता
की पूजा करनी होगी। इसी विधि से भगवान श्रीहरि विष्णु ने भी तुलसी को प्रसन्न
किया था।
ऐसे कीजिए तुलसी को प्रसन्न
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तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनायें। फिर उस पर तोरण सजायें। रंगोली से अष्टदल कमल बनायें। शंख,चक्र और गाय के पैर बनायें।
तुलसी के साथ आंवले का गमला लगायें।
तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजा करें।
दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें। तुलसी का दशाक्षरी मंत्र - श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा।
घी का दीप और धूप दिखायें। सिंदूर,रोली,चंदन और नैवेद्य चढ़ायें। तुलसी का वस्त्र से अंलकार करें। फिर लक्ष्मी अष्टोत्र या दामोदर अष्टोत्र पढ़ें। तुलसी के चारों ओर दीपदान करें।
मनोकामनाओं की तुलसी
कार्तिक पूर्णिमा को श्रीहरि को तुलसी चढ़ाने का फल दस हज़ार गोदान के
बराबर।
जिन दंपत्तियों के यहां संतान न हो वो तुलसी नामाष्टक सुनें, घर में
गूंजेगी किलकारी
तुलसी नामाष्टक के पाठ से न सिर्फ शीघ्र विवाह होता है बल्कि बिछुड़े
संबंधी भी करीब आते हैं।
नये घर में तुलसी का पौधा, श्रीहरि नारायण का चित्र या प्रतिमा और जल
भरा कलश लेकर प्रवेश करने से नये घर में संपत्ति की कमी नहीं होती।
नौकरी पाने, कारोबार बढ़ाने के लिये गुरूवार को श्यामा तुलसी का पौधा
पीले कपड़े में बांधकर, ऑफिस या दुकान में रखें। ऐसा करने से कारोबार
बढ़ेगा और नौकरी में प्रमोशन हो जायेगा।
अगर आप कार्तिक मास में तुलसी का
इस तरह पूजन करेंगे तो आपकी सभी कामनाएं पूरी होंगी क्योंकि तुलसी हैं विष्णु
प्रिया और उनकी पत्तियों में वो शक्ति हैं जिसे पाकर भगवान विष्णु भी प्रसन्न
हो जाते हैं।