मोदी सरकार को झटका, अकाली दल ने तोड़ी बीजेपी से 22 साल पुरानी दोस्ती

By: Pinki Sat, 26 Sept 2020 11:27:51

मोदी सरकार को झटका, अकाली दल ने तोड़ी बीजेपी से 22 साल पुरानी दोस्ती

कृषि बिलों की वजह से एनडीए में फूट पड़ गई है। शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने एनडीए (NDA) का दामन छोड़ दिया है। अकाली दल के अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने खुद यह जानकारी दी है। 9 दिन पहले हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री थीं। केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व है। अकाली दल ने लोकसभा और राज्यसभा में इन बिलों का विरोध किया। भाजपा और अकाली दल पिछले 22 साल से साथ थे।

सुखबीर सिंह बादल कहा कि कृषि से संबंधित अध्‍यादेशों को लाने वाली एनडीए का हम हिस्‍सा नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि एनडीए से अलग होने का फैसला सर्वसम्‍मति से लिया गया है। अकाली दल ने कहा, 'हमने एमएसपी (MSP) पर किसानों की फसलों के सुनिश्चित विपणन की रक्षा के लिए वैधानिक विधायी गारंटी देने से मना करने पर बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से अलग होने का फैसला किया। इसके साथ ही सिख और पंजाबी मुद्दों पर भी सरकार असंवेदनशील थी।'

बता दे, कृषि बिलों का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में हो रहा है। यहां किसान पिछले 20 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब के सभी जिलों में किसान सड़क और रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं। कांग्रेस, अकाली दल, आप, लोक इंसाफ पार्टी और बसपा का इनको समर्थन मिल रहा है।

अकाली दल पर क्या दबाव था

पार्टी में फूट से जूझ रहे अकाली दल के लिए मोदी सरकार के कृषि विधेयक गले की फांस बन गए थे, क्योंकि पार्टी को लग रहा था कि अगर वह इनके लिए हामी भरती तो पंजाब के बड़े वोट बैंक यानी किसानों से उसे हाथ धोना पड़ता।

पंजाब के कृषि प्रधान क्षेत्र मालवा में अकाली दल की पकड़ है। अकाली दल को 2022 के विधानसभा चुनाव दिखाई दे रहे हैं। 2017 से पहले अकाली दल की राज्य में लगातार दो बार सरकार रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से अकाली दल को महज 15 सीटें मिली थीं। ऐसे में 2022 के चुनाव से पहले अकाली दल किसानों के एक बड़े वोट बैंक को अपने खिलाफ नहीं करना चाहता।

इन 3 विधेयकों का विरोध हो रहा

- फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल।
- फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज बिल।
- एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल।

1998 से अकाली दल एनडीए में था

1998 में जब लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए बनाने का फैसला किया था, तो उस वक्त जॉर्ज फर्नांडीज की समता पार्टी, जयललिता की अन्नाद्रमुक, प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाला अकाली दल और बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना ने इसे सबसे पहले ज्वॉइन किया था। समता पार्टी का बाद में नाम बदलकर जदयू हो गया। जदयू द्रमुक एनडीए से एक बार अलग होकर वापसी कर चुकी है। शिवसेना अब कांग्रेस के साथ है। अकाली दल ही ऐसी पार्टी थी, जिसने अब तक एनडीए का साथ नहीं छोड़ा था।

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