जब PM की अपील पर पूरा देश रखने लगा था हफ्ते में एक दिन व्रत
By: Pinki Wed, 02 Oct 2019 11:05:02
आज 2 अक्टूबर 2019 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी 116वीं जयंती है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था। उन्हें उनकी सादगी, सरलता और जनता के साथ संवाद के लिए मिसाल माना जाता रहा है। एक गरीब परिवार से निकलकर और सबसे बड़े लोकतंत्र का कुशल नेतृत्व कर शास्त्री जी ने दुनिया को इतना तो जता दिया कि अगर इंसान के अंदर आत्मविश्वास और दृढ संकल्प हो तो वो कोई भी मंजिल पा सकता है। लाल बहादुर शास्त्री जी अपने प्रधानमंत्री काल में पूरे देश से हफ्ते में एक दिन व्रत रखने की अपील की थी। आइए जानते है इसके पीछे की वजह से बारें में...
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के दो हफ्ते के बाद लाल बहादुर शास्त्री अगले प्रधानमंत्री बनाए गए। उसी दौरान साल 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध भी हो गया। अब परिस्थितियां और भी विकट थीं। देश का नेतृत्व लाल बहादुर शास्त्री कर रहे थे इसलिए उनकी जवाबदेही तय की गई थी। वहीं, इस युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। भुखमरी के उस संकट में प्रधानमंत्री ने अनोखा कदम उठाया जो आज भी सराहा जाता है। उन्होंने तब अपनी तनख्वाह लेना बंद कर दिया। उन्होंने अपने घर पर काम करने आने वाली बाई को भी काम पर आने से मना कर दिया और घर का सारा काम खुद से करने लगें।
देश खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा था। अमेरिका ने भी भारत को खाद्यान्न के निर्यात रोकने की धमकी दे दी। देश में मुश्किल हालात आ गए थे। उस दौर में वो देश से रूबरू हुए, उन्होंने जनता के सामने आकर लोगों से अपील की कि लोग हफ्ते में एक दिन एक वक्त का खाना छोड़ दें। जल्द ही ये दौर गुजर जाएगा, तब तक जनता से सहयोग की उम्मीद है। यही नहीं उन्होंने देशवासियों के सामने मिसाल पेश करते हुए कहा कि उनके परिवार में, 'कल से एक हफ्ते तक शाम को चूल्हा नहीं जलेगा।' ये असर दूरगामी गांवों से लेकर होटल और रेस्तरां तक साफ नजर आ रहा था।
बता दें कि अमेरिका ने उस समय भारत को अपनी शर्तों पर अनाज देने की पेशकश की थी। लाल बहादुर शास्त्री जानते थे कि अमेरिका से अनाज लिया तो देश का स्वाभिमान खत्म हो जाएगा। शास्त्री जी ने खूद भी सपरिवार इस अन्न यज्ञ में कुछ न खाकर आहुति दी थी।
हमें भारत का स्वाभिमान बनाए रखने के लिए देश के पास उपलब्ध अनाज से ही काम चलाना होगा। हम किसी भी देश के आगे हाथ नहीं फैला सकते। यदि हमने किसी देश द्वारा अनाज देने की पेशकश स्वीकार की तो यह देश के स्वाभिमान पर चोट होगी। इसलिए देशवासियों को सप्ताह में एक वक्त का उपवास करना चाहिए। इससे देश इतना अनाज बचा लेगा कि अगली फसल आने तक देश में अनाज की उपलब्धता बनी रहेगी। पेट पर रस्सी बांधो, साग-सब्जी ज्यादा खाओ, सप्ताह में एक दिन एक वक्त उपवास करो, देश को अपना मान दो।