वीकेंड पर घूमने का बन रहा है प्रोग्राम तो कोच्चि बेस्ट जगह

By: Pinki Tue, 20 Aug 2019 5:39:41

वीकेंड पर घूमने का बन रहा है प्रोग्राम तो कोच्चि बेस्ट जगह

कोच्चि शहर, भूतपूर्व कोचीन, अरब सागर पर प्रमुख बंदरगाह, पश्चिम-मध्य केरल राज्य, दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित है। इसे पूर्व का वेनिस भी कहा जाता है। कोच्चि एक अनूठा पर्यटन स्थल है और अपने जीवनकाल में इसे एक बार अवश्य देखना चाहिए। यह शानदार शहर भारत का प्रमुख बंदरगाह शहर है और यह अपने शक्तिशाली अरब सागर के पानी पर इठलाता है। नयनाभिराम अनूपों और पश्चजल के बीच बसे कोच्चि में काफ़ी बड़े स्तर पर पर्यटन व्यवसाय होता है। फोर्ट कोचीन में पुर्तग़ालियों द्वारा 1510 में बनाया गया सेंट फ्रांसिस चर्च है, जो भारतीय भूमि पर पहला यूरोपीय गिरजाघर होने के कारण विख्यात है, यहाँ कुछ समय के लिए वास्कोडिगामा को दफ़नाया गया था, बाद में उनके पार्थिव अवशेष पुर्तग़ाल ले जाए गए। अन्य गिरजाघरों के साथ ही यहाँ हिन्दू मंदिर, मस्जिदें और मत्तनचेरी का ऐतिहासिक सिनेगॉग (यहूदी उपासना गृह) विद्यमान हैं, चौथी शताब्दी में बसा कोच्चि का यहूदी समुदाय भारत में सबसे पुराना था, हालांकि हज़ारों सदस्यों में से लगभग सभी 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक इजराइल चले गए थे।

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# सुभाष पार्क

सुभाष पार्क जिसे सुभाष चंद्र बोस पार्क भी कहा जाता है, कोच्चि का एक लोकप्रिय अवकाश स्थल है। यह पार्क कोच्चि के हृदयस्थल में स्थित है और महाराजा कॉलेज के बाजू में है। यह रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर स्थित है और रास्ते द्वारा यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। इस पार्क का नाम भारत के प्रसिद्द स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर रखा गया है जो बच्चों और बड़ों दोनों को समान रूप से आकर्षित करता है। इस पार्क से वेम्बनाद झील के बैकवॉटर्स और कोच्चि बंदरगाह का प्रभावशाली विस्तार देखा जा सकता है। पार्क के पास के आकर्षणों में एक पुराना शिव मंदिर जिसे एर्नाकुलाथाप्पन मंदिर के नाम से जाना जाता है, दरबार हॉल, कोच्चि शहर की नौका और मरीन ड्राईव शामिल हैं। सुभाषचन्द्र पार्क के बाजू में एक बच्चों का ट्रैफिक पार्क है जो बच्चों को न सिर्फ व्यस्त रखता है बल्कि उन्हें ट्रैफिक के नियम भी सिखाता है। यहाँ रोलर स्केटिंग के लिए एक ट्रैक है जो स्केटिंग करने वाले तथा देखने वाले दोनों को एक उत्कृष्ट वातावरण प्रदान करता है। इस पार्क को पूर्ण रूप से नया रूप देने के लिए हाल ही में एक परियोजना प्रस्तावित की गई है।

# सेंट जॉर्ज फेरोना चर्च

सेंट जॉर्ज फेरोना चर्च जिसे स्थानीय रूप से एडापल्ली पल्ली के नाम से जाना जाता है, भारत के पहले रोमन कैथोलिक चर्चों में से एक है। यह चर्च एडापल्ली में स्थित है जो एक छोटा सा शहर है और कोच्चि से लगभग 10 किमी. की दूरी पर स्थित है। चर्च का एक इतिहास है जो 6 वीं शताब्दी का है और ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण ईसा पश्चात 594 में भूमि के उस टुकड़े पर किया गया जो एडापल्ली के राजा द्वारा उपहार में दिया गया था। उस समय से अब तक चर्च का कई बार पुन: निर्माण किया गया। इस्तिहास बताता है कि यह चर्च जो निर्माण के समय वर्जिन मैरी को समर्पित था, सेंट जॉर्ज के नाम से जाना जाने लगा जब उन्हें इंग्लैण्ड का संरक्षक संत घोषित किया गया। इस चर्च की मुख्य विशेषताओं में सेंट जॉर्ज की एक मूर्ति( जो घोड़े पर सवार है और भाले से राक्षस का सिर अलग कर रही है) और वेदी की दीवारों पर विस्तृत चित्र जो वर्जिन मैरी और उनके स्वर्ग दूतों की कहानी चित्रित करते हैं।चर्च का प्रमुख उत्सव अप्रैल और मई के महीनों में कई उत्सवों और जुलूसों के साथ मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान सेंट जॉर्ज फेरोना चर्च बड़ी संख्या में भक्तों और यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

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# म्यूज़ियम ऑफ केरल हिस्ट्री

म्यूज़ियम ऑफ केरल हिस्ट्री जिसे माधवन नायर फाउन्डेशन के नाम से भी जाना जाता है, केरल का समृद्ध और विविधतापूर्ण इतिहास प्रदर्शित करता है। कोच्चि के हृदयस्थल से 10 किमी. की दूरी पर स्थित यह संग्रहालय भगवान के स्वयं के देश की एक झलक को पाने का उत्तम तरीका है। संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर आप परशुराम की आदमकद मूर्ति देखेंगे जो भगवान विष्णु के छटवें अवतार थे। किवदंतियों के अनुसार केरल का उदभव समुद्र से हुआ है जब परशुराम ने अपनी कुल्हाड़े अरब सागर में फेंक दी थी। संग्रहालय की चार दीवारों में राज्य के जन्म से लेकर आधुनिक समय तक का इतिहास कैद है। केरल का 2000 वर्ष पुराना इतिहास प्रकाश और ध्वनि शो के माध्यम से शानदार तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। चाहे आप इतिहासकार हों या बच्चे हों, एक घंटे का यह शो एक नजारा है जो प्रत्येक यात्री अपने शेष जीवन के लिए सँजो कर रखता है।

# मंगलवनम पक्षी अभयारण्य

मंगलवनम पक्षी अभयारण्य पक्षी प्रेमियों, पर्यटकों और पक्षीविज्ञानियों का प्रिय स्थान है। यह पक्षी अभ्यारण्य एर्नाकुलम में हाई कोर्ट (उच्च न्यायालय) की इमारत के ठीक पीछे स्थित है। इस पक्षी अभयारण्य में पक्षियों की कुछ दुर्लभ प्रजातियां तथा साथ ही साथ निवासी पक्षी भी देखने को मिलते हैं। मंगलवनम पक्षी अभयारण्य केवल पक्षियों की विभिन्न प्रकारों के लिए ही प्रसिद्द नहीं है बल्कि सदाबहार वनस्पतियों के लिए भी प्रसिद्द है। यह पक्षी अभयारण्य एक सदाबहार वनस्पतियों में स्थित है जहाँ विभिन्न प्रकार के विशेष पौधे और जानवर पाए जाते हैं। यह क्षेत्र एक सहायक नहर द्वारा कोच्चि के बैकवॉटर्स से जुड़ा हुआ है। सन 2004 में मंगलवनम को एक संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया क्योंकि यह कई पक्षियों का प्रजनन स्थल है और यहाँ कई सदाबहार दुर्लभ वनस्पतियाँ भी पाई जाती हैं। इस क्षेत्र की हरी भरी गीली भूमि कई दुर्लभ प्रजातियों को आवास प्रदान करती है अत: इसे एर्नाकुलम का ग्रीन लंग (हरा फेफड़ा) कहा जाता है। इस अभ्यारण्य की सैर के लिए जनवरी से लेकर मार्च के प्रारंभ का तक का समय सर्वोत्तम होता है क्योंकि इस दौरान यहाँ अनेक प्रवासी पक्षी देखने को मिलते हैं।

# गुरुद्वारा श्री गुरू सिंह साहब

गुरुद्वारा श्री गुरू सिंह साहब कोच्चि से केवल 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और केरल का एकमात्र गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा 1955 में केरल मे अस्तित्व में आया और जैसा कि नाम से पता चलता है यह केरल के सिख समुदाय के लिए गुरू तक पहुँचने का रास्ता है। मूल रूप से यह गुरुद्वारा कोचीन पोतखाने के स्थान पर बनाया गया था और वर्तमान गुरुद्वारे की स्थापना 1975 में की गई। यह गुरुद्वारा स्थापत्यकला की मुगल शैली में बना है जो हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला का मिश्रण है। दरबार कक्ष में प्रार्थनाएं की जाती हैं और सभी मार्गों के लोग यहाँ प्रार्थना करने के लिए आते हैं। सिखों की संस्कृति और आतिथ्य की एक झलक पाने के लिए अपने यात्रा कार्यक्रम में गुरुद्वारे को जोड़ना का सबसे अच्छा तरीका होगा।

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# सांता क्रूज़ कैथेड्रल बेसिलिका

सांता क्रूज़ कैथेड्रल बेसिलिका कोच्चि आने वाले किसी भी पर्यटक के यात्रा कार्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। यह कैथेड्रल फोर्ट कोच्चि में स्थित है और भारत के प्रथम चर्च में से एक है। इसका स्था देश के मौजूदा आठ बेसीलिकाओं में है। बेशक यह एक विरासत इमारत है और इसकी मौलिकता की रक्षा करने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा इसकी बहुत अच्छे से देखभाल की गई है। यह गिरिजाघर शैली, स्थापत्य कला और भव्यता का शानदार संयोजन है। यह शहर की उन इमारतों में से एक है जो गॉथिक प्रभाव को प्रदर्शित करती है। यह उन बचाई गई इमारतों में से एक थी जिसे उस समय नष्ट होने से बचाया गया जब डच आक्रमणकारी कैथोलिक इमारतों को नष्ट कर रहे थे। इस इमारत में भित्ति चित्र और कैनवास पेंटिंग हैं जो ईसामसीह के जन्म और मृत्यु की कहानी बताते हैं। इस चर्च में अंतिम सपर की प्रतिकृति है जो चर्च का प्रमुख पर्यटन आकर्षण है।

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