आखिर क्यों निर्वस्त्र होकर नहीं करना चाहिए स्नान, जानें कारण

By: Ankur Mundra Mon, 11 May 2020 08:16:02

आखिर क्यों निर्वस्त्र होकर नहीं करना चाहिए स्नान, जानें कारण

हिंदू धर्म में शास्‍त्रों का बड़ा महत्व माना गया हैं जिसमें व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई नियम बताए गए हैं जिनका पालन कर अपने जीवन में होने वाले दुर्भाग्य से बचा जा सकता हैं। ऐसे ही कई नियम स्नान करने अर्थात नहाने से भी जुड़े हुए हैं। पहले नहाने के लिए नदी या तालाब का इस्तेमाल किया जाता था और अब उनकी जगह बाथरूम ले चुके हैं। ऐसे में कई लोग निर्वस्त्र होकर स्नान करना पसंद करते हैं जिसे पद्मपुराण में वर्जित बताया गया हैं।

हमें किसी भी परिस्थिति में पूर्ण नग्‍न होकर स्‍नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य पाप का भागीदार बनता है। पद्मपुराण में इस संबंध में एक कथा बताई गई है कि एक बार गोपियां स्‍नान करने नदी में उतरी तो कान्‍हाजी ने उनके कपड़े छिपा दिए। गोपियां जब वस्‍त्र ढूंढ़ने लगी तो उन्हें नहीं मिले। तब कान्‍हाजी ने कहा कि वस्‍त्र पेड़ पर हैं आकर ले लो। तो गोपियां बोलीं कि जब वे स्‍नान करने आई थीं तो यहां पर कोई नहीं था। अब वे बिना वस्‍त्रों के जल से बाहर कैसे आए।

astrology tips,astrology tips in hindi,bath without cloth,garud puran ,ज्योतिष टिप्स, ज्योतिष टिप्स हिंदी में, बिना कपड़ों के स्नान, गरुड़ पुराण

श्रीकृष्ण ने बताया कि ऐसा तुम्हें लगता है कि यहां कोई नहीं था लेकिन मैं तो हर पल, हर जगह मौजूद होता हूं। आसमान में उड़ते पक्षियों, जमीन पर चलने वाले जीवों और जल में मौजूद जीवों ने भी तुम्हें निर्वस्त्र देखा। इतना ही नहीं, जल में नग्न होकर प्रवेश करने से जल रूप में मौजूद वरुण देव ने भी तुम्हें नग्न देखा। यह उनका अपमान है। आपकी नग्नता आपको पाप का भोगी बनाती है। यही वजह है कि हमें एकदम निर्वस्‍त्र होकर स्‍नान नहीं करना चाहिए।

गरुड़पुराण में बताया गया है कि जब आप स्‍नान कर रहे होते हैं तो रक्षक के रूप में आपके पितर आपके आस-पास मौजूद होते हैं। वे आपके वस्त्रों से गिरने वाले जल को ग्रहण करते हैं, जिनसे उनकी तृप्ति होती है। निर्वस्त्र स्नान करने से पितर अतृप्त होकर नाराज होते हैं जिनसे व्यक्ति का तेज, बल, धन और सुख नष्ट हो जाता है और पितर दोष भी लगता है।

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2025 lifeberrys.com