भवन का बेसमेंट बन सकता हैं सौभाग्य और दुर्भाग्य का कारण, जानें वास्तु नियम
By: Ankur Mundra Fri, 08 May 2020 07:34:20
आपने अक्सर देखा होगा कि घर बनाते समय वास्तु के नियमों पर जोर दिया जाता हैं ताकि घर में सुख-शांति बनी रहे। हांलाकि आजकल बहुमंजिली इमारतों का चलन हैं जिसके चलते बेसमेंट का निर्माण भी किया जाता हैं। लेकिन बेसमेंट से जुड़े भी कुछ वास्तु नियम हैं जिनका ध्यान रखना बहुत जरूरी होता हैं अन्यथा इसका असर घरों में रहने वाले लोगों पर पड़ता हैं। ऐसे में आज हम आपको बेसमेंट से जुड़े वास्तु टिप्स की जानकारी देने जा रहे हैं जो सौभाग्य और दुर्भाग्य का कारण बनते हैं।
- वास्तु विज्ञान के अनुसार भवन में बेसमेंट का निर्माण कभी भी सम्पूर्ण भूखंड में नहीं करना चाहिए। कुल निर्माण क्षेत्र का आधा या इससे कम भाग पर ही बेसमेंट बनाना चाहिए।
- बेसमेंट की गहराई 10-12 फ़ीट से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए,जिसमें से ऊपर के 3-4 फ़ीट ज़मीन के लेवल से ऊपर आने चाहिए,ताकि प्राकृतिक रोशनी और हवा के लिए खिड़कियां रखी जा सकें।
- बेसमेंट में आने-जाने के लिए सीढ़ियां ईशान कोण या पूर्व दिशा से वास्तु में लाभ देने वाली मानी गई हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने के लिए बेसमेंट में सफ़ेद,हल्का पीला,हरा या हल्का गुलाबी रंग का पेंट होना चाहिए। नकारात्मक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि न हो इसलिए यहाँ गहरे रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
- घर में बेसमेंट का प्रयोग ध्यान,जप व एकाग्रता के लिए किया जाना उत्तम रहता है,यहाँ मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में करके बैठना शुभकारी होता है।
- बेसमेंट के पूर्व,उत्तर एवं ईशान कोण को खाली एवं स्वच्छ बनाए रखें।इस दिशा में जल रख सकते हैं।बेसमेंट के मुख्य द्वार पर विंडचाइम लगाना भी शुभ माना गया है,इससे यहाँ सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।
- व्यवसाय के लिहाज़ से बेसमेंट के दक्षिण-पश्चिम(नैऋत्य)दिशा में भारी सामान या मशीनें आदि रखी जानी चाहिए वहीँ बेचने के लिए जो सामान रखा जाए उसे बेसमेंट की उत्तर-पश्चिम(वायव्य)दिशा में रखा जाना चाहिए।एयरकंडीशन,एग्जॉस्ट फैन हो तो सभी पूर्व दिशा या अग्नि कोण में ही होने चाहिए।
- बेसमेंट के चारों ओर से जल निकासी का ढलान नहीं होना चाहिए और बरसात के पानी के रिसाव आदि के लिए भूतल पर काफी दूरी पर परछत्ते बने होने चाहिए, ताकि बरसाती पानी बेसमेंट में न घुस सके।