महाभारत की ये 4 नीतियां देती है धन से जुड़ा ज्ञान, जानें और आज से ही अपनाएं

By: Ankur Sat, 20 Oct 2018 4:47:59

महाभारत की ये 4 नीतियां देती है धन से जुड़ा ज्ञान, जानें और आज से ही अपनाएं

हिन्दू धर्म ग्रंथों में मनुष्य के जीवन से जुडी ऐसी कई बातें बताई गई हैं जो उनके जीवन को सँवारने के काम आती हैं। आज हम आपको महाभारत में बताई गई ऐसी ही कुछ नीतियों के के बारे में बताने जा रहे हैं जो मनुष्य को धन से जुड़ा ज्ञान प्राप्त करवाती हैं और धन के महत्व को समझाती हैं। तो आइये जानते हैं महाभारत की उन नीतियों के बारे में और अपने जीवन में अपनाकर उसे सफल बनाए।

* पहली बात ये है कि अच्छे कर्म से स्थाई लक्ष्मी आती है। परिश्रम और ईमानदारी से किए गए कार्यों में जो धन प्राप्त होता है, उससे स्थाई लाभ मिलता है और घर में बरकत बनी रहती है। जबकि, जो लोग गलत कार्यों से धन कमाते हैं, वे कई प्रकार की बीमारियों और परेशानियों का सामना करते हैं। गलत काम करने वाले लोग क्षणिक सुख प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन वे हमेशा सुखी नहीं रह पाते हैं। दुर्योधन ने छल और गलत तरीके से पांडवों से उनकी धन-संपत्ति छीन ली थी, लेकिन ये संपत्ति उसके पास टिक ना सकी।

* दूसरी बात है प्रगल्भता यानी धन का सही-सही प्रबंधन या निवेश। यदि हम धन का सही प्रबंधन करेंगे, सही कार्यों में पैसा लगाएंगे तो, निश्चित रूप से लाभ मिल सकता है। सही कार्यों में लगाए गए धन से हमेशा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जबकि, जो लोग जल्दी-जल्दी लाभ कमाने के चक्कर में धन का प्रबंधन गलत तरीके से करते हैं, वे अंतत: दुखी होते हैं। दुर्योधन ने धन का प्रबंधन पांडवों को नष्ट करने के लिए किया और खुद ही नष्ट हो गया।

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* तीसरी बात यह है कि धन के संबंध में सयंम बनाए रखें। आमतौर पर यदि किसी व्यक्ति के धन अधिक होता है तो वह बुरी आदतों का शिकार हो जाता है, नशा करने लगता है। यदि धन से हमेशा सुख और शांति प्राप्त करना चाहते हैं मानसिक, शारीरिक और वैचारिक संयम बनाए रखें। अपने गलत शौक पूरे करने के धन का दुरुपयोग न करें। शास्त्रों में कई ऐसे पात्र बताए गए हैं जो बुरी आदतों के कारण नष्ट हो गए। युधिष्ठिर भी द्युत क्रीड़ा (जुआं) में ही दुर्योधन और शकुनि से सब कुछ हार गए थे।

* चौथी बात यह है कि धन चतुरता के साथ खर्च करना चाहिए। यदि सोच-समझकर और सिर्फ जरुरत की चीजों पर ही धन खर्च किया जाएगा तो बचत बनी रहेगी और धन भी बढ़ता रहेगा। आय-व्यय में संतुलन बनाए रखना चाहिए।

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