Karwa Chauth 2018 : आखिर क्यों मनाया जाता है करवा चौथ, आइये जानते है इसका इतिहास!
By: Ankur Sat, 27 Oct 2018 12:08:40
करवा चौथ Karwa Chauth 2018 का त्योहार सुहागिनों का त्योहार होता हैं, जिस्मने एक पत्नी अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है और रात को चन्द्रमा देखकर ही व्रत खोला जाता हैं। यह त्योहार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता हैं। इस बार यह त्योहार 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा हैं। यही नहीं कुंवारी लड़कियां भी मनवांछित वर के लिए या होने वाले पति की खातिर निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के बाद करवा चौथ की कथा Karwa Chauth Katha सुनी जाती है।
वैसे तो यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में यह प्रमुखता से मनाया जाता हैं। सभी इस त्योहार को मनाते हैं, क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं। आज हम आपको करवा चौथ व्रत के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते है इस बारे में...
इतिहास
यूं तो करवा चौथ की कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन ऐसी मान्यता है कि ये परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। कहा जाता है कि देवताओं और दानवों के युद्ध के दौरान देवों को विजयी बनाने के लिए ब्रह्मा जी ने देवों की पत्नियों को व्रत रखने का सुझाव दिया था। जिसे स्वीकार करते हुए इंद्राणी ने इंद्र के लिए और अन्य देवताओं की पत्नियों ने अपने पतियों के लिए निराहार, निर्जल व्रत किया। नतीजा ये रहा कि युद्ध में सभी देव विजयी हुए और इसके बाद ही सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला। उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी थी और आकाश में चंद्रमा निकल आया था। मान्यता है कि तभी से करवा चौथ का व्रत शुरू हुआ। ये भी कहा जाता है कि शिव जी को प्राप्त करने के लिए देवी पार्वती ने भी इस व्रत को किया था। महाभारत काल में भी इस व्रत का जिक्र है और पता चलता है कि गांधारी ने धृतराष्ट्र और कुंती ने पाण्डु के लिए इस व्रत को किया था