सावन स्पेशल : कैसे हुई सोमवार व्रत की शुरुआत, जानें पौराणिक कथाएं
By: Ankur Mundra Tue, 07 July 2020 11:33:05
सावन के महीने का नाम आते ही उसके साथ सोमवार मुंह पर आ ही जाता हैं क्योंकि सावन के सोमवार का विशेष महत्व माना जाता हैं। इस दिन सभी भक्तगण व्रत-उपवास रखते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन सोमवार व्रत की शुरुआत कैसे हुई। पुराणों में इससे जुड़ी कुछ कथाएं मिलती हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
पहली पौराणिक कथा
भगवान परशुराम ने अपने आराध्य देव शिव की इसी माह नियमित पूजन करके कांवड़ में गंगाजल भरकर वे शिव मंदिर ले गए थे और उन्होंने वह जल शिवलिंग पर अर्पित किया था। अर्थात कांवड़ की परंपरा चलाने वाले भगवान परशुराम की पूजा भी श्रावण मास में की जाती है। भगवान परशुराम श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को कांवड़ में जल ले जाकर शिव की पूजा-अर्चना करते थे। शिव को श्रावण का सोमवार विशेष रूप से प्रिय है। श्रावण में भगवान आशुतोष का गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक करने से शीतलता मिलती है। कहते हैं कि भगवान परशुराम के कारण ही श्रावण मास में शिवजी का व्रत और पूजन प्रारंभ हुआ।
दूसरी पौराणिक कथा
इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा, तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया जिसके बाद से ही महादेव के लिए यह माह विशेष हो गया।
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