ओर्गेज्म के दौरान वैजाइना से निकलने लगता है तेल, जानें इससे जुडी कई बातें

By: Ankur Fri, 19 Oct 2018 2:16:01

ओर्गेज्म के दौरान वैजाइना से निकलने लगता है तेल, जानें इससे जुडी कई बातें

ओर्गेज्म एक ऐसा पल होता है जिसमें महिला हो या पुरुष दोनों की उत्तेज्जना बढ़ जाती हैं और संतुष्टि की प्राप्ति होती हैं। ओर्गेज्म के दौरान जननांगों में कई बार बदलाव आते हैं, खासतौर से वैजाइना में। ओर्गेज्म के दौरान वैजाइना से तेल निकलने लगता है और ऐसे ही कई बदलाव होते हैं। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि किस तरह से वैजाइना में बदलाव होते रहते हैं।

ऑर्गैज़्म के समय वैजाइना के साथ क्या होता है ये जानने के लिए आपको इस अंग के संरचना के बारे में पता होना ज़रूरी है। वैजाइना लंबे पतले ट्यूब की तरह होता है जो वैजाइनल ओपनिंग से सर्विक्स तक जाता है। वैजाइना में टिशू नरम और लचीले मसल्स से बने होते हैं जिसके कारण वह इंटरकोर्स और बच्चे के जन्म के समय फैल पाता है। हमारे सामने ये वल्वा (vulva) की तरह दिखता है जिसमें लेबिया मेजोरा (labia majora -outer lips) और लेबिया मेनोरा (labia minora -inner lips), क्लिटोरिस, वैजाइना वेस्टिबुला, बार्थोलिन्स के दो ग्लैंड वेस्टिवुला का बल्ब होता है। वैजाइना के बाहरी लिप्स में बाल, ऑयल ग्लैंड्स और भीतरी लिप्स नरम और बाल रहित होता है। लेबिया के ठीक नीचे इरेक्टाइल टिशू का गुच्छा होता है जिसको क्लिटोरिस कहते हैं। ये ऊपर एक गोलाकार टिप होता है जिसको ग्लान क्लिटोरीडिस कहते हैं जो लेबिया मिनोरा या वैजाइना के इनर लिप्स के फोल्ड से शुरू होता है।

लेबिया मेनोरा वैजाइना के वेस्टिबुला से घिरा होता है जो ठीक क्लिटोरिस के नीचे से शुरू होता है और जिसमें यूरेथ्रा का ओपनिंग और वैजाइना का दो ग्लैंड बार्थिलिन्स होता है। युरेथ्रा का ओपनिंग छोटा होता है और ये क्लिटोरिस के समीप होता है और वैजाइनल ओपनिंग के ठीक नीचे होता है। जब तक आपने सेक्चुअल इंटरकोर्स नहीं किया है वैजाइना का ओपनिंग एक तरह के पतले मेमब्रेन से ढका हुआ होता है जिसको हाइमेन कहते हैं। पहली बार सेक्चुअल इंटरकोर्स से हाइमेन फट जाता है।

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अच्छी तरह से और सेक्स का आनंद उठाते हुए सेक्स करने के लिए महिला का उत्तेजित होना ज़रूरी होता है। पुरूष और महिला दोनों के लिए उत्तेजित होने के लिए ये प्रक्रिया मस्तिष्क से शुरू होती है। लेकिन महिला के लिए उत्तेजित होना उतना आसान नहीं होता है इसलिए थोड़ा ज्यादा प्रयास करने की ज़रूरत होती है। महिला को उत्तेजित होने के लिए क्लिटोरिस और वैजाइनल स्टिमुलेशन की ज़रूरत होती है। इसलिए महिला को उत्तेजित करने के लिए फोरप्ले करना चाहिए। जी-स्पॉट को उत्तेजित करके भी महिला को सेक्चुअली एक्टिव कर सकते हैं। ये वैजाइना के दिवार के सामने होता है, जो थोड़ा ऊंचा होता है और जिसमें बहुत सारे नसें होते हैं और ये बहुत ही संवेदनशील होते हैं जिससे महिला को बहुत ही आनंद मिलता है।

जब महिला उत्तेजित हो जाती है तब वैजाइना के ग्लैंड से एक तरह का तेल निकलने लगता है। साथ ही बार्थिलोना ग्लैंड से तेल और म्यूकस निकलता है जिससे पेनिट्रेशन में आसानी होती है। जब ये होता है तब दिल की धड़कन तेल हो जाती है, सांस की गति बढ़ जाती है और अचानक ब्लड का फ्लो भी बढ़ जाता है। इस अवस्था में वैजाइना फैलकर बड़ा हो जाता है और बाहरी तथा भीतरी दिवार क्लिटोरिस के साथ बढ़ जाता है। ब्रेस्ट भी सूज जाता है और वैजाइना का ओपनिंग संकुचित हो जाता है। लेकिन भीतर से गर्भाशय फैल जाता है। लेकिन इंटरकोर्स के दौरान एनस के साथ यूटेरस क्लाइमेक्स तक पहुँचने संकुचित और खुलता रहता है।

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