
ईरान की परमाणु साइट्स पर अमेरिका द्वारा किए गए ताजा हमले के बाद पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस बीच पाकिस्तान ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए ईरान के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। खास बात यह है कि ठीक एक दिन पहले पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की वकालत की थी, जिससे उसकी वर्तमान प्रतिक्रिया को लेकर अंतरराष्ट्रीय हलकों में हैरानी जताई जा रही है।
पाकिस्तान का कड़ा बयान: अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघनरविवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि वह ईरान पर अमेरिका द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। बयान में कहा गया, हम इजरायल के बाद अमेरिका द्वारा ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी पर किए गए हमलों की निंदा करते हैं। यह हमले अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों का उल्लंघन हैं और ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत आत्मरक्षा का अधिकार है।
तनाव में बढ़ोतरी पर गहरी चिंता, संघर्ष खत्म करने की अपीलपाकिस्तान ने क्षेत्र में बढ़ते तनाव और हिंसा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। बयान में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि ईरान के खिलाफ हो रहे सैन्य आक्रमण से पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और हिंसा बढ़ने का खतरा है, जिससे लोगों की जान और संपत्ति पर गंभीर असर पड़ेगा। पाकिस्तान ने संघर्ष को तत्काल समाप्त करने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के पालन पर जोर दिया।
कूटनीति और संवाद ही एकमात्र समाधान: पाकिस्तानपाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस संकट का समाधान केवल शांतिपूर्ण संवाद और कूटनीतिक रास्तों से ही निकाला जा सकता है। बयान में कहा गया, हम सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप काम करें, ताकि इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति सुनिश्चित की जा सके।
डोनाल्ड ट्रंप को लेकर पाकिस्तान का दोहरा रुखपाकिस्तान की यह तीखी प्रतिक्रिया तब आई है, जब एक दिन पहले ही उसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की थी। यह यू-टर्न अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। ट्रंप द्वारा ईरान की परमाणु क्षमताओं को बर्बाद करने के मकसद से किए गए हमले के बाद पाकिस्तान का रवैया अचानक बदल गया है, जो उसके कूटनीतिक रुख में अस्थिरता की ओर इशारा करता है।
पाकिस्तान का यह विरोध दर्शाता है कि ईरान पर अमेरिकी हमले ने केवल पश्चिम एशिया ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया के समीकरणों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। जहां एक ओर भारत कूटनीतिक संतुलन के माध्यम से शांति की अपील कर रहा है, वहीं पाकिस्तान का यह तीव्र विरोध उसकी रणनीतिक स्थिति और ईरान से बढ़ती निकटता को भी संकेत देता है। अब यह देखना होगा कि यह बयानबाजी महज कूटनीतिक रस्म अदायगी तक सीमित रहती है या किसी बड़े भू-राजनीतिक मोड़ की भूमिका तैयार करती है।