
दुनियाभर में अपनी आक्रामक ट्रेड पॉलिसी के लिए जाने जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एक ऐसा बयान दिया, जिसने भारत समेत कई देशों की उम्मीदों को नई उड़ान दे दी है। अपने बेबाक अंदाज़ में ट्रंप ने कहा कि उन्हें 9 जुलाई की तय व्यापार डेडलाइन को बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं हो रही। यह वही डेडलाइन है, जो उन देशों के लिए निर्धारित की गई है, जो अमेरिका के साथ नए व्यापार समझौते करके अधिक टैरिफ से बचना चाहते हैं। भारत को लेकर तो ट्रंप ने साफ संकेत दिए—डील बहुत जल्द हो सकती है! यह बयान उन भारतीय व्यापारिक हलकों में राहत की सांस की तरह आया है, जहां बीते कुछ समय से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी।
संडे मॉर्निंग फ्यूचर्स में ट्रंप की दो टूक बातेंफॉक्स न्यूज के कार्यक्रम Sunday Morning Futures में दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने बेधड़क कहा, “मुझे नहीं लगता कि मुझे डेडलाइन बढ़ानी पड़ेगी।” हालांकि वह यहां भी रुके नहीं, और जोड़ा—“अगर चाहें तो बढ़ा सकते हैं, इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।” ये लहजा बताता है कि वे अपने फैसलों में लचीलापन तो रखते हैं, लेकिन प्राथमिकता अब जल्द से जल्द परिणाम लाने की है।
अब सभी को देना होगा 25% टैरिफ—ट्रंप का मजाकिया तंजट्रंप पहले भी कह चुके हैं कि सरकार डेडलाइन को जैसा चाहे वैसा आकार दे सकती है। एक प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा था, “मैं चाहूंगा कि इसे छोटा कर दिया जाए और सभी को पत्र भेज दिया जाए – ‘बधाई हो, अब आप 25% टैरिफ देंगे।’” उनके इस बयान में मज़ाक तो है, लेकिन साथ ही एक स्पष्ट चेतावनी भी—कि अमेरिका अपने आर्थिक हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।
भारत से डील के बेहद करीब ट्रंप सरकारबात जब भारत की आई, तो ट्रंप ने खासतौर पर कहा कि यह उन कुछ देशों में से है, जिनके साथ समझौता अब बस दस्तखतों की दूरी पर है। पिछले हफ्ते भारत के व्यापारिक प्रतिनिधियों की एक अहम बैठक वॉशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ हो चुकी है। इससे संकेत मिलते हैं कि दोनों देशों के बीच सहमति की ज़मीन तैयार हो चुकी है।
लेकिन कुछ डील्स पर समय की मारहालांकि, ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने शुक्रवार को माना कि कुछ देश बहुत अच्छे प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं, फिर भी सभी डील्स 9 जुलाई तक पूरी हो जाएं, यह मुमकिन नहीं लगता। लेकिन अगर 18 में से 10-12 देशों से समझौता हो गया, तो अमेरिका की योजना है कि लेबर डे तक व्यापार प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
चीन और यूके से अधूरी डीलें बनी चिंता का कारणहालांकि सब कुछ उतना भी आसान नहीं है। चीन और ब्रिटेन के साथ की गई व्यापारिक चर्चाएं अब भी अधूरी हैं। यूके के साथ कुछ अहम बिंदुओं पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। वहीं चीन से हुई डील में फेंटानिल तस्करी और अमेरिकी निर्यातकों की चीनी बाजार में पहुंच जैसे मुद्दों पर अब भी सवाल उठ रहे हैं।