हमारे देश में कई ऐसी निर्माण कार्य हैं जिनसे आम जनता अनभिज्ञ हैं और वे किसी विशेष प्रयोजन हेतु काम में लिए जाने हैं। ऐसा ही एक निर्माण कार्य नीलगिरी की पहाड़ियों को खोदकर सुरंग तैयार करने के लिए किया जा रहा हैं। वहां के लोगों में यह बड़ा सवाल हैं कि इस डेढ़ किलोमीटर लंबी सुरंग का इस्तेमाल किसके लिए किया जाएगा और इसके लिए उन्होनें सरकार से शिकायत करने के साथ ही कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया हैं।
बताया जा रहा है कि यह सुरंग वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए तैयार की जा रही है। ये सुरंग तमिलनाडु के थेनी जिले में है। ये ठीक उसी तरह की सुरंग हो सकती है जैसी स्विट्जरलैंड की साइंटिफिक सुरंग है। उस सुरंग में साइंटिस्ट गॉड ऑफ पार्टिकल पर खोज की जा रही हैं। भारत में बनने वाली सुरंग में दुनिया की सबसे बड़ी और शक्तिशाली चुंबक लगाई जाएगी। इस चुंबक का वजन 12.500 टन है।
इस सुरंग के बनने से इलाके के लोग दहशत में हैं उन्हें लगता है कि सब बर्बाद होने वाला है। क्योंकि यह साइंस से जुड़ा है तो जाहिर हैं उन्हें किसी खतरे का अंदेशा है। यही कारण है कि यहां के पर्यावरणवादी और इलाके के लोग इसे किलर पार्टिकल कहते हैं। ये इस प्रोजेक्ट के नाम न्यूट्रीनो पार्टिकल की तर्ज पर रखा गया नाम हैं।बताया जाता है कि न्यूट्रीनो उन मूल कणों में से एक है जिसके द्वारा ब्रह्माण्ड की रचना हुई है। ये पूरी दुनिया में विचरण करते रहते हैं। ये बेहद सूक्ष्म होते हैं इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता। इन्हें तभी देखा जा सकता है जब कोई नाभिकीय प्रतिक्रिया हो। ये न्यूट्रीनो सूरज, तारों और ब्रह्मांड की सक्रिय सौर गंगाओं से निकल कर धरती पर पहुंचते रहते हैं।इस इलाके के भविष्य को लेकर केरल औऱ तमिलनाडु के पर्यावरणवादियों ने आरोप लगाये हैं कि यहां जो न्यूट्रीनो तलाश किए जाने हैं उनमें विदेशों से मदद ली जाएगी। साथ ही हो सकता है न्यूट्रीनो का ज्यादा उपयोग हथियार बनाने के लिए भी किया जाए। इसलिए लोग नहीं चाहते कि इस इलाके में ऐसा कुछ भी शुरू किया जाए जिससे लोगों को भविष्य में समस्या हो। ज्ञात हो तो न्यूट्रीनो बीम का प्रयोग नाभिकीय हथियार बनाने में किया जा सकता है। ये इतने शक्तिशाली होते हैं कि इनके इस्तेमाल से कुछ भी मिनटों में तबाह हो सकता है। इससे ऐसे हथियार तैयार किए जा सकते हैं जिनको रोका नहीं जा सकता और उनके वार का कोई बचाव भी नहीं है।