पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश की AIR Force ने अपना दमखम दिखाते हुए आतंकवादियों के ठिकानों को समाप्त कर दिया और इसी के साथ कई तरह की अफवाहें फैली हुई है कि दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता हैं और परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो सकता हैं। हांलाकि वर्तमान समय की स्थिति में ऐसा हो पाना नामुमकिन हैं क्योंकि परमाणु हथियार कोई बंदूक की गोली नहीं है जो यूँ ही हवा में छोड़ दी। परमाणु हमले के नुकसान की भरपाई कर पाना कोई आसान काम नहीं हैं। आज हम आपको हिरोशिमा और नागासाकी में हुए परमाणु हमले से जुडी रोचक जानकारी बताने जा रहे हैं।
* पहला परमाणु बम 6 अगस्त, 1945 को सुबह सवा आठ बजे हिरोशिमा पर और दूसरा इसके ठीक तीन दिन बाद, 9 अगस्त को नागासाकी पर गिराया गया था। इसके बाद से आज तक हमले के लिए दोबारा परमाणु हथियार का इस्तेमाल नही हुआ।
* हिरोशिमा पर बम गिराए जाने का फैसला बम गिरने से सिर्फ एक घंटा पहले लिया गया था।
* हिरोशिमा पर गिराए गए बम का नाम “Little Boy” था। इसका वजन करीब 4000 किलो और लंबाई 10 फीट थी। इसमें यूरेनियिम की मात्रा 65 किलो थी, लेकिन जो विस्फोट हुआ वह सिर्फ 0.7g यूरेनियम की वजह से हुआ। यानि जिस पदार्थ की वजह से विस्फोट हुआ उसका वजन एक आलपिन या डाॅलर के नोट के बराबर भी नही था।
* नागासाकी पर गिराए गए बम का नाम “Fat Man” था। इसका वजन करीब 4500 किलो और लंबाई 11.5 फीट थी। इसमें 6.4 किलो प्लूटोनियम का प्रयोग किया गया था जो यूरेनियम से कही ज्यादा शक्तिशाली था।
* नागासाकी पर गिराए जाने वाला बम पहले जापान के कोकुरा शहर पर गिराया जाना था लेकिन उस समय कोकुरा शहर का मौसम साफ नही था और बादल भी घने थे इसलिए अमेरिकी सेना ने बम नागासाकी पर ही गिरा दिया। यही बम क्योटो शहर पर गिराने का भी प्लान बनाया गया था। लेकिन युद्ध के सेक्रेट्री हेनरी स्टिमसन ने इसे बदलवा दिया क्यूंकि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ यहाँ पर हनीमून मनाया था और उनकी कई यादें इस शहर से जुडी हुई थी।
* हिरोशिमा पर जो बम गिराया गया उसे ले जाने वाले विमान का नाम “Enola Gay” था। इस विमान में साइनाइड की 12 गोलियाँ भी रखी गई थी, ताकि यदि मिशन फेल हो जाता है तो सारे ऑफिसर उन्हें खा लें। जिस विमान से दूसरा बम गिराया गया उसका नाम “Bockscar” था।
* बम गिरने की वजह से हिरोशिमा और नागासाकी के करीब 2,46,000 लोग मारे गए थे। लगभग 1 लाख लोग तो बम गिरते ही मारे गए थे और बाकी के अगले कुछ सालों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से मर गए।
* हिरोशिमा हमले के समय बम फटने वाली जगह का तापमान 3,00,000°C और उसके नीचे जमीन का तापमान लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जो स्टील को पिघलाने के लिए काफी होता है। इस हमले से 1005 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी चली थी और 10 वर्ग किलोमीटर में गहरे गढ्ढे बन गए थे और 500 मीटर तक 19 tons per square inch का प्रेशर create हुआ था। यह किसी भी विशाल बिल्डिंग को हवा में उड़ाने के लिए काफी था।
* नागासाकी और हिरोशिमा आज रेडियोएक्टिव फ्री है। क्योंकि दोनो परमाणु बम जमीन से कुछ सौ फीट की ऊंचाई पर हवा में फटे थे।
* हिरोशिमा हमले के एक महीने बाद शहर में एक चक्रवात आया था जिसका वजह से 2000 और लोग मारे गए।
* हिरोशिमा बम हमले में एक दर्जन अमेरिकी भी मारे गए थे, ये बात अमेरिका को 1970 में पता चली।
* हिरोशिमा पर हमले के बाद एक पुलिसवाला नागासाकी गया था और वहाँ की पुलिस को हमले के लिए सचेत कर दिया इसका रिजल्ट ये रहा, कि नागासाकी परमाणु हमला में एक भी पुलिस वाले की मौत नही हुई।
* शिकेगी तनाका (Shikegi Tanaka) जो हिरोशिमा हमले के समय 13 साल का था, उसने विस्फोट को 20 मील दूर से देखा था। परमाणु हमले से बचा हुआ यह आदमी छः साल बाद 1951 में बोस्टन गया और वहाँ मैराथन जीतकर दिखाई।
* सुतोमो यामागुच्ची दोनो बम हमलों से पीड़ित व्यक्ति था। दरअसल हुआ ये कि जब हिरोशिमा पर बम गिरा तब वो यही था फिर वो अपने गाँव नागासाकी चला गया फिर वहाँ पर भी बम गिरा दिया गया। लेकिन ये इतना भाग्यशाली था कि दोनों बार बच गया। इसकी मौत 2010 में पेट के कैंसर से हुई।
* हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराने से पहले अमेरिका ने जापान पर 49 बम अभ्यास के तौर पर गिराए थे। जिसमें 400 लोगो की मौत और 1200 लोग घायल हुए थे।
* नागासाकी परमाणु हमले के छः दिन बाद जापान के राजा हिरोहित्तो (Hirohito) ने अमेरिकी सेना के सामने आत्म समर्पण कर दिया। यह घोषणा रेडियों पर की गई थी और ज्यादातर जापानियों ने उसकी आवाज पहली बार सुनी थी। अगर जापान सरेंडर नही करता तो अमेरिका ने 19 अगस्त को एक और शहर पर परमाणु बम गिराने की योजना बनाई थी।
* अमेरिका ने आज तक परमाणु हमलों के लिए जापान से माफी नही मांगी। बराक ओबामा पहले ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति है जिसने हमले के 71 साल बाद हिरोशिमा की यात्रा की।
* जापान ने, 1964 में बम हमलों से ग्रसित व्यक्तियों के सम्मान में एक ज्वाला प्रज्वलित की थी जो आज तक चल रही है। यह उस दिन बुझाई जाएगी जिस दिन दुनिया से सभी परमाणु बम खत्म हो जाएगे और ये दुनिया परमाणु हमले से भयमुक्त हो जाएगी।