हमारे देश में पुलिस खाकी वर्दी पहनती है और यही उनकी पहचान हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि देश में सिर्फ कोलकाता ही एक ऐसी जगह है जहाँ की पुलिस खाकी की जगह सफ़ेद यूनिफार्म पहनती हैं। जी हाँ, इसकी पूरी सच्चाई इतिहास से जुड़ी हुई हैं और आज हम आपको इसके पीछे की बड़ी वजह के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते है आखिर कोलकाता पुलिस खाकी की जगह क्यों सफ़ेद यूनिफार्म पहनती हैं।
खाकी वर्दी और सफेद वर्दी अंग्रेजों के जमाने से ही चली आ रही है। ब्रिटिश राज में जब पुलिस का गठन हुआ था, तब उनकी पुलिस सफेद रंग की वर्दी पहनती थी, लेकिन ज्यादा देर तक ड्यूटी करने के दौरान वो जल्द ही गंदी भी हो जाती थी। इस कारण पुलिसकर्मियों ने वर्दी को जल्दी गंदा होने से बचाने के लिए उसे अलग-अलग रंगों से रंगना शुरू कर दिया।
सफेद रंग की वर्दी पर अलग-अलग रंग लगाने की वजह से जवानों की यूनिफॉर्म अलग-अलग रंगों की दिखने लगती थी। ऐसे में यह पहचान पाना मुश्किल हो जाता था कि वो शख्स पुलिस का ही जवान है। इसी समस्या से निजात पाने के लिए अंग्रेज अफसरों ने खाकी रंग की वर्दी बनवाई, ताकि वो जल्दी गंदा न हो।
साल 1847 में अंग्रेज अफसर सर हैरी लम्सडेन ने पहली बार आधिकारिक तौर पर खाकी रंग की वर्दी को अपनाया था। तब से यही खाकी भारतीय पुलिस की वर्दी बन गई, जो अब तक चली आ रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पश्चिम बंगाल में पुलिस खाकी वर्दी ही पहनती है, लेकिन वहीं की कोलकाता पुलिस सफेद।
उस समय कोलकाता पुलिस को भी खाकी रंग की वर्दी पहनने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने उसे खारिज कर दिया था। इसके पीछे उन्होंने कारण दिया कि कोलकाता तटीय इलाका है और यहां काफी गर्मी और नमी रहती है। ऐसे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सफेद रंग ज्यादा बेहतर है, क्योंकि इस रंग से सूरज की रोशनी परावर्तित हो जाती है और ज्यादा गर्मी नहीं लगती है।