पोलैंड की रहने वाली एक 39 वर्षीय महिला का कहना है कि वह चार साल (1460 दिन) से सो नहीं सकी है। महिला एक दुर्लभ विकार सोमनिफोबिया से ग्रसित है। जिसकी वजह से उसे नींद नहीं आती। 'द सन' के मुताबिक, महिला का नाम मालगोरज़ाटा स्लिविंस्का है मालगोरज़ाटा कहती हैं लोगों को एक रात नींद ना आए तो उनका बुरा हाल हो जाता है, लेकिन मैं कई हफ्तों तक नींद नहीं ले पाती हूं। डॉक्टरों ने इसके पीछे की वजह सोमनिफोबिया नामक दुर्लभ विकार को बताया है।
मालगोरज़ाटा का कहना है, 'नींद नहीं ले पाने के कारण मुझे तेज सिरदर्द होता है और मेरी आंखें इतनी शुष्क हो जाती हैं कि ऐसा लगता है कि जैसे वे जल रही हैं।'
अपने दर्द को शेयर करते हुए मालगोरज़ाटा ने आगे कहा, 'मेरी शॉर्ट टर्म मेमोरी पूरी तरह से चली गई है और मैं अक्सर बिना किसी कारण के खुद की आंखों में आंसू पाती हूं।'
39 वर्षीय मालगोरज़ाटा ने बताया कि सोमनिफोबिया के कारण मेरा शरीर बेहद कमजोर हो गया। ऑफिस से लंबी छुट्टी लेने के बाद नौकरी भी चली गई। इलाज में जमा-पूंजी भी खर्च हो गई। लेकिन कोई खास फायदा नहीं हो सका। दुर्लभ बीमारी के कारण उसके बेटे और पति के साथ संबंध भी बिगड़ने लगे।
कब शुरू हुई थी बीमारी?
मालगोरज़ाटा के अनुसार, सितंबर 2017 में रविवार की शाम को परिवार के लोग स्पेन से छुट्टी बिताकर लौटे थे। इस दिन किसी कारण से उसको नींद नहीं आ रही थी। उस दिन को याद करते मालगोरज़ाटा कहती है, 'मैं लेट गई और बिस्तर पर करवटें बदलती रही, यह सोचकर कि नींद आ ही जाएगी। लेकिन वो नहीं आई। आखिरकार, जब घड़ी में सुबह के 5:30 बजे तो बिस्तर से बाहर निकली और फ्रेश होकर काम पर चली गई। लेकिन इसके बाद मालगोरज़ाटा के साथ नींद नहीं आने का जैसे नियम सा बन गया। नींद आने के लिए वह तरह-तरह के जतन करती। कभी गरम पानी से नहाती तो कभी किताबें पढ़ती।
मालगोरज़ाटा कहती हैं, 'मैंने हर कोशिश की। सोने से तीन घंटे पहले टीवी बंद करना, एक्यूपंक्चर, मालिश, संगीत सब ट्राई किया लेकिन नींद नहीं आई। मुझे एक हल्की नींद की गोली भी दी गई थी, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ। मेरा दिमाग हाई अलर्ट पर रहता, यह कभी बंद नहीं होता।'
मालगोरज़ाटा ने कहा कि अनिद्रा का यह चक्र पूरे दो हफ्ते तक चला और इसके बाद ये मेरे जीवन का हिस्सा बन गया।
मालगोरज़ाटा स्लिविंस्का कहती हैं कि नींद की गोलियों ने उसे कुछ घंटों की नींद दिलाने में मदद तो की, लेकिन वे मेरे स्वास्थ्य को और भी बदतर बना रही थीं। सितंबर 2018 से फरवरी 2019 तक 6 महीने के लिए और फिर जून 2019 से सितंबर 2019 तक उन्होंने मनोवैज्ञानिक चिकित्सा का सहारा लिया।
अंत में एक निजी डॉक्टर ने उसे नींद की गोली Zolpidem दी, जो काम कर गई। लेकिन इससे उसे नशे की लत लगने लगी। और जब उसने गोलियां लेना बंद कर दिया, तो परिणाम हानिकारक हुए। मालगोरज़ाटा के मुताबिक, 'अगस्त 2018 में पूरे तीन हफ्तों तक उसे एक पल भी नींद नहीं आई। ये समय किसी यातना के एक रूप झेला।'
इस बीच मालगोरज़ाटा ने अपनी अनिद्रा के लिए फिर से निजी उपचार लेने का फैसला किया। एक मनोचिकित्सक की दवा से वह हफ्ते में एक रात सोने में सक्षम हो सकी थी। दो वर्षों तक चले इस इलाज में लाखों रुपये खर्च हो गए। बचत के पैसे भी खत्म हो गए। मालगोरज़ाटा ने विभिन्न दवाओं से लेकर कई तरह की चिकित्सा पद्धति तक, सब कुछ आजमाया।
आखिर में मिली सफलताआखिरकार, तमाम जतन करने के बाद इस साल की शुरुआत में उसे सफलता मिली। मालगोरज़ाटा ने बताया, 'मैंने ज़ूम कॉल पर पोलैंड के एक विशेषज्ञ से सलाह ली, जिसने मुझे सोमनिफोबिया नामक विकार का इलाज बताया।' अब मालगोरज़ाटा नींद की गोलियों की मदद से हर हफ्ते लगभग दो या तीन रातें सो पाती हैं।
वह बिस्तर पर जाने से पहले अपनी चिंता को कम करने के लिए भी कदम उठा रही है, जिसमें हर दिन 10,000 कदम चलना और योग और ध्यान का अभ्यास करना शामिल है। वह सीबीटी थेरेपी की कोशिश कर रही हैं और हाल ही में एक नया पार्ट टाइम जॉब शुरू की है।
मालगोरज़ाटा अपनी परेशानी का जिक्र करते हुए कहती हैं कि नींद संबंधी विकारों में और अधिक शोध की सख्त जरूरत है। फिलहाल वह अब उन्हें 7 दिन में 2-3 रातें नींद आ जाती है।