पाकिस्तान सरकार ने स्यालकोट स्थित 1000 साल पुराने शिवाला तेजा सिंह मंदिर को 72 साल बाद खोल दिया है। 1947 में देश के बंटवारे के बाद इस शिवाला को बंद कर दिया गया था। उस दौरान हिंदुओं के पलायन कर जाने के बाद यह वीरान हो गया था। इसके साथ ही पाक ने यह भी ऐलान किया है कि शिवाला को स्थाई रूप से खुला रखा जाएगा और शिवाला के संरक्षण का काम भी होगा। शिवाला पुरातन भारतीय वास्तुशिल्प का अनूठा नमूना है। इस शिवाला को खोलने के लिए पिछले कुछ समय से हिंदू संगठन मांग उठाते रहे हैं। इसमें जिला कौंसिल के पूर्व मेंबर रतन लाल, एमएनए रमेश कुमार बंकवानी के नाम प्रमुख रहे हैं। पाक सरकार शिवाला के संरक्षण पर 50 लाख रुपए खर्च करेगी। शिवाला का निर्माण 10वीं सदी में हुआ था
शिवाला का निर्माण 1000 साल पहले अर्थात 10वीं सदी में हुआ था। इसी सदी में खजुराहो समेत दक्षिण भारत के तमाम मंदिरों का निर्माण हुआ। शिवाला तेजा सिंह पर भी इन्हीं भारतीय मंदिरों के शिल्प की छाप है। इस शिवाला के पिलर, गुंबद से लेकर छतों की बनावट तथा भव्य नक्काशी और चित्रकारी दिल को छू लेने वाली है। संरक्षण के बाद यह धार्मिक ही नहीं पर्यटन के नजरिए से भी आकर्षण होगा।
कट्टरपंथियों ने उड़ा दिया था बम से
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान 1992 में इस शिवाला को भी कट्टरपंथियों ने बम से उड़ा दिया था। कई स्तंभ क्षतिग्रस्त हो गए थे। तब से यहां पर हिंदुओं का आना-जाना और कम हो गया था। बोर्ड के चेयरमैन डॉ। आमीर अहमद ने इसके संरक्षण को जल्द शुरू करने की बात कही है। मंदिर के बचे हिस्से मजबूत हैं। इसकी छत, गुफाएं और पिलरों आदि को रिपेयर की हल्की-फुल्की जरूरत होगी। श्री गंगा राम हेरिटेज फाउंडेशन के डायरेक्टर सैयद शाहीन हसन ने बताया कि लोग भी इसके संरक्षण में यथा संभव मदद करेंगे।72 वर्षों के बाद मंदिर परिसर गूंज उठा हर-हर महादेव के जयकारों से
स्यालकोट के हिंदू समाज के मुखिया डॉ. मुनव्वर चंद, अमरनाथ रंधावा और पंडित काशी राम के नेतृत्व में मंदिर में स्थानीय हिंदुओं ने अपने धार्मिक संस्कार किए। समारोह में स्थानीय मुस्लिम भी शामिल हुए। इस अवसर पर हिंदू समाज ने मिठाइयां भी बांटी। मंदिर में पूजा-पाठ के लिए नियुक्त किए गए पंडित काशी राम ने हवन के बाद नारियल की संपूर्ण आहुतियां डाली। मंदिर खुलने से हर्षित हिंदू समाज ने हवन में बैठ कर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। हवन के बाद पुजारी ने ओम जय जगदीश हरे आरती का गायन किया। इस मौके पर हिंदू समाज के लोगों ने गले में केसरी रंग के सिरोपे पहने हुए थे। 72 वर्षों के बाद मंदिर परिसर एक बार फिर हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा।