कई लोग होते हैं जिन्हें खाने का बहुत शौक होता हैं और वे नए-नए स्वाद के लिए घुमते नजर आते हैं। हांलाकि अभी लॉकडाउन चल रहा हैं तो घर के स्वाद से बेहतर कुछ भी नहीं हैं। वहीँ इस समय कई लोग ऐसे भी हैं जो भूखे ही सोते हैं। लेकिन अब जरा सोचिए कि 35 किलो भोजन से कितने लोगों की भूख मिट सकती हैं। लेकिन इतिहास में एक बादशाह ऐसा हुआ हैं जो दिन में 35 किलो खाना खा जाता था। हम बात कर रहे हैं गुजरात के छठे सुल्तान महमूद बेगड़ा की। वह महज 13 साल की उम्र में गद्दी पर बैठे थे और 52 साल (1459-1511 ईस्वी) तक सफलतापूर्वक गुजरात पर राज किया था। उन्हें अपने वंश का सबसे प्रतापी शासक माना जाता था।
महमूद बेगड़ा का नाम महमूद शाह प्रथम था। उन्हें 'बेगड़ा' की उपाधि तब दी गई थी, जब उन्होंने 'गिरनार' जूनागढ़ और चम्पानेर के किलों को जीत लिया था। कहते हैं कि गिरनार किले पर बेगड़ा का अधिकार हो जाने के बाद यहां के राजा ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था, जिसके बाद उसकी सेना को सुल्तान की सेना में शामिल कर लिया गया था।
महमूद बेगड़ा के आकर्षक व्यक्तित्व के चर्चे तो आज भी खूब होते हैं। कहते हैं कि उनकी दाढ़ी इतनी बड़ी थी कि वो कमर तक पहुंच जाती थी। इसके अलावा उनकी मूंछें भी काफी लंबी थीं। वह उन्हें अपने सिर के ऊपर बांध लेते थे।
महमूद बेगड़ा के बारे में सबसे ज्यादा जो बात प्रचलित है, वो ये है कि वह एक दिन में कम से कम 35 किलो खाना खाते थे। कहते हैं कि वह नाश्ते में एक कटोरा शहद, एक कटोरा मक्खन और 100-150 केले खा जाते थे। सिर्फ यही नहीं, रात के समय भी उनके तकिए के दोनों तरफ खाना रख दिया जाता था, ताकि अगर उन्हें कभी भी भूख लगे तो तुरंत खा सकें।
कहते तो यह भी हैं कि सुल्तान बेगड़ा को बचपन से ही किसी जहर का सेवन कराया गया था, जिसके बाद से वह हर रोज खाने के साथ थोड़ा-थोड़ा जहर भी लेते थे। कहा जाता है कि सुल्तान के शरीर में इतना जहर हो गया था कि अगर उनके हाथ पर कोई मक्खी भी बैठ जाती थी तो वह भी पलभर में दम तोड़ देती थी। इतना ही नहीं, उनके इस्तेमाल किए हुए कपड़ों को कोई भी छूता तक नहीं था, बल्कि उसे सीधे जला दिया जाता था, क्योंकि वह सुल्तान के पहनने के बाद जहरीले हो जाते थे।