विदेश में भारत का झंडा लहराने वाली महिला, वो भी आजादी से 40 साल पहले

आज पूरा देश 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा हैं। यही वह दिन है जब देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी। आज प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाल किले में ध्वाजोरोहण किया गया और इसी के साथ ही देश के हर हिस्से में तिरंगा लहराया गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजादी से 40 साल पहले ही विदेश में भारतीय झंडा फहराया जा चुका था वो भी एक महिला द्वारा। उस महिला का नाम हैं भीकाजी कामा। यह झंडा 22 अगस्त 1907 को जर्मनी के स्टुटगार्ट नगर में सातवीं अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में फहराया गया था। हालांकि, उस समय तिरंगा झंडा वैसा नहीं था जैसा कि आज है।

महिला भारतीय मूल की पारसी नागरिक थीं, जिन्होंने लंदन से लेकर जर्मनी और अमेरिका तक का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया था। भीकाजी द्वारा पेरिस से प्रकाशित होने वाला 'वन्देमातरम्' पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ था।

भीकाजी कामा ने जिस झंडे को जर्मनी में लहराया था, उसमें देश के विभिन्न धर्मों की भावनाओं और संस्कृति को समेटने की कोशिश की गई थी। इस झंडे में इस्लाम, हिंदुत्व और बौद्ध मत को प्रदर्शित करने के लिए हरा, पीला और लाल रंग का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही उसमें बीच में देवनागरी लिपि में 'वंदे मातरम' लिखा हुआ था।

भीकाजी कामा ने अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में दिए अपने भाषण में कहा था, 'भारत में ब्रिटिश शासन जारी रहना मानवता के नाम पर कलंक है। एक महान देश भारत के हितों को इससे भारी क्षति पहुंच रही है। उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से भारत को दासता से मुक्ति दिलाने में सहयोग की अपील की थी और भारतवासियों का आह्वान करते हुए कहा था, 'आगे बढ़ो, हम हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तान हिंदुस्तानी का है।'

भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 को बंबई (मुंबई) में हुआ था। उनके अंदर लोगों की मदद और सेवा करने की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। साल 1896 में मुंबई में प्लेग फैलने के बाद भीकाजी ने इसके मरीजों की सेवा की थी। हालांकि बाद में वह खुद भी इस बीमारी की चपेट में आ गई थीं, लेकिन इलाज के बाद वह ठीक हो गई थीं। 74 वर्ष की आयु में 13 अगस्त 1936 को यानी आजादी से कई साल पहले ही उनका निधन हो गया था।