नया स्मार्टफोन लेने की बात आती है तो ज्यादातर लोग कैमरा, प्रोसेसर और बैटरी पर ध्यान देकर ही फैसला लेते हैं। खासकर बैटरी को लेकर तो एक आम धारणा है कि जितने ज़्यादा mAh, उतनी ज़्यादा बैटरी लाइफ। लेकिन यह सोच हमेशा सही नहीं होती। आज के मॉडर्न स्मार्टफोन में बैटरी लाइफ कई तकनीकी पहलुओं पर निर्भर करती है, ना कि सिर्फ बैटरी की क्षमता पर। अगर आप भी 6000mAh या 7000mAh का टैग देखकर फोन खरीदने जा रहे हैं, तो पहले समझ लें कि असल बैटरी परफॉर्मेंस किन बातों से तय होती है।
केवल बैटरी क्षमता नहीं, टेक्नोलॉजी भी मायने रखती है
आज की स्मार्टफोन कंपनियां सिर्फ बड़ी बैटरी नहीं बना रहीं, बल्कि उसके पीछे की तकनीक भी बदल रही हैं। उदाहरण के लिए, सिलिकॉन-कार्बन जैसी एडवांस्ड बैटरी टेक्नोलॉजी की वजह से पतले और हल्के फोन में भी ज़्यादा क्षमता वाली बैटरियां लगाई जा सकती हैं। बाजार में 6000–7500mAh बैटरी वाले फोन आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन ये समझना जरूरी है कि बैटरी बैकअप का निर्धारण फोन की ट्यूनिंग—यानी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर—दोनों पर निर्भर करता है। सिर्फ बैटरी का नंबर बड़ा होना, लंबे बैकअप की गारंटी नहीं है।
डिस्प्ले—फोन की बैटरी का सबसे बड़ा उपभोक्ताआज लगभग हर फोन में हाई रिफ्रेश रेट डिस्प्ले देखने को मिल रहा है—120Hz, 144Hz या कुछ मामलों में 165Hz तक। ये रिफ्रेश रेट फोन को बेहद स्मूथ जरूर बनाते हैं, लेकिन बैटरी की खपत भी तेजी से बढ़ा देते हैं। इसके अलावा, QHD+ डिस्प्ले फुल HD स्क्रीन की तुलना में कहीं ज़्यादा पावर लेती हैं। अगर बैटरी लाइफ आपकी प्राथमिकता है, तो एडैप्टिव रिफ्रेश रेट और ऑटो-ब्राइटनेस ऑप्टिमाइजेशन वाले फोन का चुनाव बेहतर साबित होता है।
प्रोसेसर—बैटरी लाइफ का अनदेखा नायकसिर्फ बैटरी ही नहीं, फोन का प्रोसेसर भी बैकअप को काफी हद तक प्रभावित करता है। नए चिपसेट अधिक पावर-एफिशिएंट हो गए हैं, यानी वे कम बैटरी खर्च कर ज्यादा परफॉर्मेंस देते हैं। लेकिन अगर फोन पुराना प्रोसेसर इस्तेमाल करता है, तो फिर भले ही बैटरी 7000mAh की क्यों न हो, बैकअप शायद संतोषजनक न मिले। गेमिंग, मल्टीटास्किंग और लंबे समय तक भारी ऐप्स चलाने पर ऐसे फोन जल्दी गर्म होते हैं और बैटरी भी तेजी से गिरती है।
फास्ट चार्जिंग जितनी तेज, उतनी ही गर्मी—जरूरी है सही थर्मल मैनेजमेंटआज के दौर में 80W से लेकर 120W तक की फास्ट चार्जिंग आम हो चुकी है। इनसे आपका फोन कुछ ही मिनटों में चार्ज हो जाता है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी हैं—जैसे तेज़ी से तापमान बढ़ना और बैटरी का जल्दी डिग्रेड होना। ऐसे में केवल फास्ट चार्जिंग पर ध्यान देने के बजाय हीट मैनेजमेंट और बैटरी प्रोटेक्शन सिस्टम भी जांचें। जो फोन तापमान को बेहतर तरीके से कंट्रोल करता है, वही लंबे समय तक स्थिर बैटरी लाइफ देता है।