हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में रविवार को हुई भगदड़ की घटना ने पूरे उत्तर भारत को झकझोर कर रख दिया है। उत्तराखंड सरकार की ओर से रविवार देर शाम को इस मामले में ताज़ा जानकारी दी गई जिसमें मृतकों की संख्या बढ़कर 8 और घायलों की संख्या 30 तक पहुंच गई है। घटना के बाद राज्य और केंद्र से लेकर संबंधित ट्रस्ट तक सभी स्तरों पर राहत और मुआवज़े की घोषणाएं की जा रही हैं, जबकि हादसे की गहराई से जांच भी शुरू कर दी गई है।
यह हादसा रविवार सुबह करीब 9 बजे हुआ जब वीकेंड और सावन के तीसरे रविवार के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर पहुंचे थे। मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और पैदल मार्ग या रोपवे के ज़रिए यहां पहुँचा जाता है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सीढ़ियों वाले पैदल मार्ग पर भीड़ अचानक बढ़ गई, और इसी दौरान अफरा-तफरी के माहौल में श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिरने लगे, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई।
मृतकों में ज़्यादातर यूपी निवासी, योगी सरकार ने भी दी राहतजैसे ही सूचना मिली, हरिद्वार जिला प्रशासन और पुलिस टीम मौके पर पहुंची। घायलों को त्वरित रूप से जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज शुरू हुआ। राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार ने जानकारी दी कि हादसे में घायल 13 लोगों को गंभीर हालत में एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है, जबकि कई अन्य को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
इस घटना में जान गंवाने वालों और घायल श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश के लोगों की है। इसी को देखते हुए यूपी सरकार ने भी ऐलान किया है कि राज्य के मृत श्रद्धालुओं के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50 हज़ार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
उत्तराखंड सरकार ने भी मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हज़ार रुपए मुआवज़ा देने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट की ओर से भी मृतकों के परिजनों को 5 लाख और घायलों को 1 लाख रुपए की सहायता देने की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री धामी पहुँचे मौके पर, दिए जांच के आदेशघटना की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तुरंत हरिद्वार और एम्स ऋषिकेश पहुंचे। उन्होंने न केवल घायलों का हाल जाना, बल्कि डॉक्टरों को निर्देश दिए कि किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए। सीएम ने इस हादसे को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि भगदड़ किन परिस्थितियों में मची और क्या इससे बचा जा सकता था।
ट्रस्ट ने जिम्मेदारी से किया किनारा, हादसा मंदिर में नहीं मार्ग पर हुआमनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने स्पष्ट किया कि यह हादसा मंदिर के भीतर नहीं बल्कि उस मार्ग पर हुआ है जो मंदिर तक पहुंचने के लिए उपयोग में लिया जाता है। उन्होंने कहा कि भारी भीड़ के दौरान मंदिर तक जाने वाली सीढ़ियों पर दबाव बढ़ गया था, जिससे लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और भगदड़ मच गई।
हर साल सावन, शिवरात्रि और दूसरे धार्मिक अवसरों पर देशभर के प्रमुख मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। बार-बार भगदड़ जैसी घटनाएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या प्रशासन, ट्रस्ट और सुरक्षा एजेंसियां भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन व्यवस्था के लिए पर्याप्त रूप से तैयार रहती हैं? क्या श्रद्धालु खुद भी नियमों का पालन करते हैं?
हरिद्वार की घटना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सुरक्षा प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण के नियमों का कड़ाई से पालन अनिवार्य है। खासकर जब बात सैकड़ों-हज़ारों की संख्या में जुटने वाले श्रद्धालुओं की हो।
मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ में 8 लोगों की मौत एक गहरी पीड़ा छोड़ गई है। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की उस चूक की निशानी है जिसे बार-बार दोहराया जा रहा है। मुआवज़ा देना आसान है, लेकिन ज़रूरत इस बात की है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस और ज़मीनी कदम उठाए जाएं। श्रद्धा से भरे इन पवित्र स्थलों पर भय या मौत की छाया नहीं, बल्कि सुरक्षा और व्यवस्था की छाया होनी चाहिए।