प्रयागराज की पवित्र धरती पर बुधवार को एक नया अध्याय लिखा गया। किन्नर अखाड़े के गठन के दस वर्ष बाद, आंतरिक मतभेदों और बढ़ते विवादों के चलते उससे अलग होकर ‘सनातनी किन्नर अखाड़ा’ का विधिवत गठन किया गया। इस नए अखाड़े की स्थापना स्वामी कौशल्या नंद गिरी (टीना मां) ने की, जो पूर्व में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर और प्रदेश अध्यक्ष थीं।
वैदिक विधि से हुआ औपचारिक गठनगठन से पहले टीना मां अपने शिष्यों के साथ त्रिवेणी संगम पहुंचीं, जहां उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्नान किया। इसके उपरांत बैरहना स्थित दुर्गा पूजा पार्क में ब्राह्मणों ने वैदिक परंपरा से उनका पट्टा अभिषेक संपन्न कराया। इसके साथ ही स्वामी कौशल्या नंद गिरी को सनातनी किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में औपचारिक रूप से स्थापित किया गया। इस अवसर पर काशी से आए डमरू वादकों ने धुनें बजाईं, आरती उतारी गई और पूरे परिसर में भक्ति व उल्लास का वातावरण छा गया। किन्नरों ने गीत-संगीत और नृत्य के माध्यम से अपनी खुशी का इज़हार किया।
ममता कुलकर्णी विवाद से उपजा असंतोषदरअसल, महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर नियुक्त की गईं पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (यामाई ममता नंद गिरी) के बढ़ते प्रभाव से अखाड़े के कई सदस्यों में असंतोष व्याप्त था। स्थिति तब और बिगड़ी जब ममता ने गोरखपुर में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को लेकर विवादास्पद बयान दिया। इस बयान ने पहले से चल रही नाराजगी को भड़का दिया, जिसके परिणामस्वरूप अखाड़ा दो गुटों में बंट गया।
तानाशाही के आरोप और नई दिशा का संकल्पनए अखाड़े की घोषणा के बाद टीना मां ने कहा कि उनका उद्देश्य सनातन परंपराओं को पुनर्स्थापित करना और समाज में धार्मिक एकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने पुराने अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर तानाशाही तरीके से फैसले लेने और संगठन को मनमानी से चलाने के आरोप लगाए।
भवानी मां और गौरी सामंत भी जुड़ीं नई पहल सेकामाख्या पीठाधीश्वर भवानी मां ने बताया कि किन्नर अखाड़ा पहले पंच दशनाम जूना अखाड़े से संबद्ध था और आगे भी वे उसी की परंपरा और सानिध्य में रहेंगे। उन्होंने बताया कि अखाड़े में बढ़ते विवादों के कारण वे वर्ष 2024 में ही मुख्य अखाड़े से अलग हो गई थीं।
मुंबई की समाजसेविका और फिल्म अभिनेत्री श्री गौरी सामंत ने भी सनातनी किन्नर अखाड़े से जुड़ते हुए कहा कि पहले वाला अखाड़ा अपने वास्तविक उद्देश्यों से भटक चुका था। उन्होंने बताया कि नया संगठन न केवल सनातन धर्म की जड़ों को मज़बूत करेगा, बल्कि भारतीय संस्कृति, संस्कृत शिक्षा और गौ संरक्षण के लिए भी कार्य करेगा। गौरी सामंत ने यहां तक कहा कि उनका अखाड़ा गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग करेगा।
दूर-दराज़ से पहुंचे किन्नर, आशीर्वाद से सजी सभागठन के अवसर पर अयोध्या, वाराणसी, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, कौशांबी और कानपुर जैसे शहरों से आए किन्नरों ने इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने संगम नगरी में उपस्थिति दर्ज कराई। उपस्थित किन्नरों ने अपने गुरुओं से आशीर्वाद लिया और नए अखाड़े के गठन पर प्रसन्नता जताई।
अखाड़े का इतिहास और पृष्ठभूमिगौरतलब है कि 13 अक्टूबर 2015 को उज्जैन स्थित आध्यात्म वाटिका आश्रम में किन्नर अखाड़े की स्थापना की गई थी। हालांकि, 2019 के प्रयागराज कुंभ में आयोजित देवत्व यात्रा और अमृत स्नान के बाद अखाड़ा पहली बार सुर्खियों में आया था। उसी वर्ष इसने जूना अखाड़े के साथ औपचारिक समझौता भी किया था। वर्तमान में भी पुराना किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े से जुड़ा हुआ है, और इसकी अगुवाई डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी कर रही हैं।