भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने अपने खिलाफ दर्ज हो रही लगातार एफआईआर और बढ़ती कानूनी कार्यवाही को लेकर एक बार फिर अपनी बुलंद आवाज उठाई है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने एक नया गीत साझा किया, जिसमें उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक रवैये पर जमकर सवाल उठाए। गाने की शुरुआत ही व्यवस्था पर प्रहार करती हुई सुनाई देती है— “कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हवा चलत बा… देशवा में हमही पर FIR दर्ज होत बा…”
इस पूरे गीत में नेहा ने बेझिझक अपना आक्रोश जाहिर किया। एक लाइन में वे सीधे-सीधे कहती हैं— “हर छोटी बात पर साहेब FIR करवाने लगते हैं, ज़रा बेटियों-बहुओं को डराना तो छोड़िए”। वह यह भी पूछती हैं कि महिलाओं को दबाकर अपनी ताकत दिखाने की ये कैसी ‘मर्दानगी’ है। नेहा का कहना है कि वह अपने विचारों से पीछे हटने वाली नहीं हैं और अगर सरकार उन्हें गिरफ्तार करना भी चाहे, तो वे तैयार बैठी हैं।
“पुलिस आएगी तो मैं खुद चल दूंगी”— नेहा की दो टूकआईएएनएस से बातचीत में नेहा का रुख पहले की तरह ही साफ और अडिग दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि अगर कभी गिरफ्तार करने की नौबत आई, तो न तो वह भागेंगी और न ही डरेंगी। उनके शब्द थे— “अगर पुलिस आई, तो मैं खुद गिरफ्तारी दे दूंगी। अगर गोली चलानी हो, तो मैं गोली भी झेल लूंगी। पिछली बार भी मैंने कहा था— फांसी पर चढ़ाना है, तो मैं फांसी पर भी चढ़ जाऊंगी। मेरे पास भागने का कोई कारण ही नहीं है।”
“UP पुलिस झूठ फैलाती है”— नेहा का आरोपनेहा ने आरोप लगाया कि पुलिस और मीडिया में यह कहा जा रहा है कि उनकी तलाश के लिए दो विशेष टीमें गठित की गई हैं, लेकिन उन्हें न तो कोई कानूनी नोटिस मिला है और न ही घर पर कोई छापेमारी हुई। व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा— “मैं कोई हनुमान जी नहीं हूं कि प्रमाण लेकर घूमूं। मैं बस इतना कह सकती हूं कि मुझे कोई नोटिस नहीं मिला। जहां तक दबिश की बात है— मैं तो लखनऊ में ही हूं।”
कानूनी कदम सोच-समझकर उठाऊंगी— नेहाअपने आगामी कदमों पर बात करते हुए नेहा ने कहा कि वह जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहतीं। वह अपने वकील से बातचीत कर रही हैं और कानूनी सलाह के आधार पर अगली रणनीति तय करेंगी। उनके मुताबिक— “मेरी टीम जो उचित समझेगी, मैं वही करूंगी। अभी किसी निर्णय पर कूदने की जरूरत नहीं है।”
पूरा विवाद कैसे शुरू हुआ?यह पूरा प्रकरण 22 अप्रैल को पहलगाम (कश्मीर) में हुए आतंकी हमले के बाद भड़क उठा था, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद नेहा ने सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार पर धार्मिक और जातिगत राजनीति करने का आरोप लगाया था और सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी को भी उजागर किया था।
अपनी नई रचना के माध्यम से नेहा ने न सिर्फ अपनी बेबाकी दोहराई है, बल्कि उस माहौल पर भी करारा प्रहार किया है, जहां महिलाओं को आवाज उठाने पर धमकियों, मुकदमों और दबाव से चुप कराने की कोशिश की जाती है। उनका संदेश साफ है— अभिव्यक्ति का अधिकार न तो एफआईआर से खत्म होगा और न ही डराने-धमकाने से।