तमिलनाडु: हिरासत में मौत से हड़कंप, 5 पुलिसकर्मी गिरफ्तार, AIADMK ने CBI जांच की उठाई मांग

तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में एक सुरक्षा गार्ड की हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने राज्य की राजनीति में तूफान ला दिया है। इस मामले में जहां सरकार ने 5 पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी कर तत्काल कार्रवाई का दावा किया है, वहीं विपक्षी पार्टी AIADMK ने इसे पुलिसिया बर्बरता करार देते हुए CBI जांच की मांग की है। विपक्ष ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर भी सीधा निशाना साधा है और इस मौत के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है।

पुलिस हिरासत में अजीत कुमार की मौत


यह मामला शिवगंगा जिले के तिरुप्पुवनम का है, जहां अजीत कुमार नामक एक सुरक्षा गार्ड को स्थानीय पुलिस ने चोरी के एक मामले में हिरासत में लिया था। हिरासत के कुछ ही घंटों बाद उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान मिलने की बात कही गई है, जिससे पुलिस पिटाई की आशंका को बल मिला है।

स्टालिन ने दी सफाई, 5 पुलिसकर्मी गिरफ्तार

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपनी सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है। उन्होंने बताया कि शिवगंगा के पुलिस अधीक्षक को अनिवार्य प्रतीक्षा में रखा गया है और 5 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। स्टालिन ने कहा कि उच्च अधिकारियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है।

AIADMK ने साधा निशाना, कहा- स्टालिन कर रहे हैं नाटक

इस मामले ने विपक्षी दल AIADMK को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है। पार्टी प्रमुख और विपक्ष के नेता ई. पलानीस्वामी ने मुख्यमंत्री स्टालिन की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि, जनता और हम इस मामले में मुख्यमंत्री के नाटक पर विश्वास नहीं करते। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक सुनियोजित पुलिसिया हत्या है और इसकी निष्पक्ष जांच सिर्फ CBI ही कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की जनता अब तमिलनाडु पुलिस की फर्जी एफआईआर पर विश्वास नहीं करती।

विजय ने भी जताई चिंता, SIT की मांग

अभिनेता और तमिलगा वेत्री कषगम के नेता थलपति विजय ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी है। विजय ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि अजीत कुमार की मौत को लेकर लोगों के मन में गंभीर सवाल हैं और सरकार को चाहिए कि वह विशेष जांच दल (SIT) का गठन करे ताकि सच्चाई सामने आ सके।

जनता का भरोसा डगमगाया, सरकार पर बढ़ा दबाव

तमिलनाडु में अजीत कुमार की हिरासत में मौत ने कानून व्यवस्था, मानवाधिकार और राजनीतिक जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। स्टालिन सरकार द्वारा की गई शुरुआती कार्रवाई पर्याप्त है या नहीं, यह तो आगे की जांच और सार्वजनिक प्रतिक्रिया से तय होगा। लेकिन यह स्पष्ट है कि जनता अब केवल “कार्रवाई की घोषणा” से संतुष्ट नहीं होने वाली। यह घटना राज्य में पुलिस सुधारों और पारदर्शिता की मांग को फिर से केंद्र में ले आई है।

यह मामला अब सिर्फ एक हिरासत में मौत नहीं रह गया है, बल्कि यह सत्ता बनाम विपक्ष का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। AIADMK ने तमिलनाडु विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने की तैयारी कर ली है, वहीं सोशल मीडिया पर भी आम जनता पुलिस की कार्यशैली और राज्य सरकार की नीयत पर सवाल उठा रही है।