जैसलमेर में ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर हिंसा, पथराव में कई घायल, गांव में तनाव

राजस्थान के जैसलमेर जिले का बासनपीर गांव गुरुवार को हिंसा और तनाव का गवाह बना, जब वर्षों पुरानी दो ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर शुरू हुआ विवाद अचानक हिंसक रूप ले बैठा। निर्माण कार्य शुरू होते ही कुछ लोगों ने विरोध करते हुए पथराव कर दिया, जिसमें छतरियों के निर्माण समिति के संयोजक गणपत सिंह नोड़ियाला समेत कई लोग घायल हो गए। एक पुलिसकर्मी को भी चोटें आई हैं।

पुरानी छतरियों को लेकर फिर छिड़ा विवाद, महिलाओं को आगे कर किया गया पथराव

गौरतलब है कि वर्ष 1892 में रामचंद्र सिंह सोढ़ा और हुड़ूड पालीवाल की स्मृति में बनाई गईं ये छतरियां पांच वर्ष पूर्व तोड़ दी गई थीं। उस समय क्षेत्रीय संगठनों ने इसका विरोध किया था और पुनर्निर्माण की मांग उठाई थी। अब जब प्रशासन और स्थानीय समिति के सहयोग से इन छतरियों का पुनर्निर्माण कार्य शुरू हुआ, तो कुछ लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया और हिंसा का रास्ता अपना लिया।

प्रशासन का कहना है कि पथराव सुनियोजित था। हमलावरों ने रणनीति के तहत पहले महिलाओं को आगे किया और उनके पीछे से पत्थर फेंके गए। इससे पुलिस और निर्माण कार्य में लगे लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला। पथराव में गंभीर रूप से घायल लोगों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने तत्काल सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया है।

एसपी मौके पर पहुंचे, गांव में पुलिस छावनी जैसी स्थिति


जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी स्वयं मौके पर पहुंचे और हालात का जायज़ा लिया। पूरे गांव में भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। अतिरिक्त जाप्ता बुलाकर हालात पर नियंत्रण पाया गया। कई उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है और सीसीटीवी व मोबाइल फुटेज की सहायता से अन्य की पहचान कर कार्रवाई की जा रही है।

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अफवाहें फैलाकर स्थिति को और भड़काने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साइबर टीम को सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि कोई गलत सूचना न फैलाई जा सके।

जिला प्रशासन ने की संयम बरतने की अपील

जिला कलेक्टर और पुलिस प्रशासन ने संयुक्त बयान जारी करते हुए स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने और किसी भी भड़काऊ गतिविधि से दूर रहने की अपील की है। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि छतरियों का पुनर्निर्माण ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और स्थानीय समाज की मांग के अनुरूप किया जा रहा है।

संस्कृति बनाम संदेह की टकराहट

यह घटना एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करती है कि सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण के प्रयास जब समुदायों के बीच संवादहीनता और अविश्वास की भेंट चढ़ते हैं, तो तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। छतरियों का पुनर्निर्माण एक ऐतिहासिक कार्य है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इससे जुड़े भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं को समझना और संतुलित संवाद बनाना अत्यंत आवश्यक है।

बासनपीर गांव की घटना ने प्रशासन के लिए एक बार फिर यह चुनौती खड़ी कर दी है कि सांस्कृतिक विरासतों के नाम पर किसी तरह की असहमति को कैसे समय रहते सुलझाया जाए, ताकि ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं। छतरियों के पुनर्निर्माण से जुड़े कार्य को जहां एक ओर सांस्कृतिक जागरूकता और धरोहर संरक्षण का प्रतीक माना जा रहा था, वहीं दूसरी ओर इसके विरोध में उठी हिंसा ने सामाजिक सौहार्द पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में प्रशासन की सूझबूझ और संवाद की क्षमता ही इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता तय करेगी।