राजस्थान के डूंगरपुर शहर में एक अवैध रूप से संचालित हो रहे क्लीनिक पर स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। प्रगति नगर स्थित इस रवि क्लीनिक पर बुधवार को छापेमारी की गई, जहां दो कमरों में 9 बेड लगाकर इलाज किया जा रहा था। यह क्लीनिक बिना किसी वैध लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के चलाया जा रहा था। क्लीनिक के भीतर एक प्राइवेट लैब भी पाई गई, जिसमें मरीजों के खून और पेशाब की जांच के लिए उपकरण मौजूद थे। साथ ही बड़ी संख्या में अवैध एलोपैथिक दवाइयां भी बरामद हुईं।
खुद को डॉक्टर बताने वाले भरत खत्री के पास स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित 16 मापदंडों में से किसी का भी वैध दस्तावेज नहीं मिला। इनमें क्लीनिक रजिस्ट्रेशन, लैब लाइसेंस, ड्रग लाइसेंस, बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल से जुड़े दस्तावेज शामिल थे।
स्वास्थ्य विभाग की टीम में एडिशनल सीएमएचओ डॉ. विपिन मीणा, सीएमएचओ डॉ. राहुल जैन, ड्रग इंस्पेक्टर विनोद कुमार और आयुर्वेद अधिकारी डॉ. जयन यादव शामिल थे। जब टीम मौके पर पहुंची, तो इलाके में हड़कंप मच गया। क्लीनिक के दो कमरों में 9 बेड लगे हुए थे, हालांकि उस समय वहां कोई मरीज भर्ती नहीं था। एक कमरे में बनी लैब में कई जांच मशीनें लगी हुई थीं।
क्लीनिक में न केवल आयुर्वेदिक बल्कि एलोपैथिक दवाएं भी पाई गईं। अवैध रूप से संचालित इस क्लीनिक को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने क्लीनिक के मेन गेट को लॉक कर सील चस्पा कर दी है। साथ ही क्लीनिक संचालक को दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि बिना वैध अनुमति और आवश्यक दस्तावेजों के निजी क्लीनिक चलाना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि लोगों की जान के साथ भी खिलवाड़ है। स्वास्थ्य विभाग की यह कार्रवाई स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बन गई है।