जयपुर: शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने बुधवार को कहा था कि राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सभी सरकारी संस्थानों, स्कूल-कॉलेजों के साथ-साथ सरकारी मदरसों में भी इसे गाया जाएगा। इस बयान को लेकर अल्पसंख्यक नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय पर जबरदस्ती थोपने वाला कदम बताया।
राजस्थान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष खानू खान बुधवाली ने कहा कि भारत एक स्वतंत्र देश है, जहाँ हर नागरिक को अपनी आस्था और धार्मिक प्रथाओं के अनुसार कार्य करने का अधिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और सरकार के मंत्री जब अपनी नीतियों या परफॉर्मेंस पर खरा नहीं उतर पाते, तो केवल अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा मंत्री को मदरसों के विकास, बेहतर शिक्षा, और कंप्यूटरीकरण जैसी ठोस पहल पर ध्यान देना चाहिए, न कि राष्ट्रगीत को अनिवार्य रूप से गाने को लेकर बयानबाजी करनी चाहिए।
राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा कि मदरसे धार्मिक शिक्षा के आधार पर संचालित होते हैं और मुस्लिम विद्यार्थी केवल अपने ईश्वर की पूजा करते हैं। इसलिए ऐसे बयान अस्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा कि संविधान सभी को अपने धार्मिक अधिकारों और शिक्षा के तरीके का पालन करने की स्वतंत्रता देता है, और इसमें किसी का दखल देना गलत है।
कांग्रेस खेल प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष और राजस्थान हज कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अमीन पठान ने भी इस बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अक्सर विवादित बयान देकर हलचल मचाते रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मदरसों में पहले से ही 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर झंडारोहण, राष्ट्रगान और देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहाँ बच्चे सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
राजस्थान में लगभग 3500 मदरसे राज्य मदरसा बोर्ड से पंजीकृत हैं। इन मदरसों में दो लाख से अधिक बच्चे धार्मिक और सामान्य शिक्षा प्राप्त करते हैं। इनमें करीब 5000 पैरा टीचर कार्यरत हैं, जिन्हें मदरसा बोर्ड की ओर से प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है।