राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से चार बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था की जांच में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। हाल ही में सार्वजनिक हुई कैग (CAG) की रिपोर्ट ‘पब्लिक हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड मैनेजमेंट इन राजस्थान’ ने यह बताया है कि राज्य में 2016 से 2022 तक दवाओं की जांच के लिए कुल 94,800 निरीक्षण होने थे, लेकिन अधिकारियों ने केवल 65,135 ही निरीक्षण किए, जिससे 29,665 यानी लगभग 31 प्रतिशत निरीक्षण पूरे नहीं हुए।
विशेष रूप से 2021-22 के दौरान, 21,840 निरीक्षण की योजना थी, लेकिन सिर्फ 16,748 ही किए गए। स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार प्रत्येक ड्रग कंट्रोल ऑफिसर को हर महीने कम से कम 20 निरीक्षण करने होते हैं, लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया।
स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो भी निरीक्षण और अन्य कार्यों में कमी रह गई है, उसे पूरा करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में लगभग 50,000 स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की जा रही है, जिनमें से अब तक 23,000 की भर्ती हो चुकी है और बाकी 27,000 जल्द ही शामिल किए जाएंगे।
कैग रिपोर्ट में स्वास्थ्य व्यवस्था की गहराई से समीक्षा की गई है, जिसमें प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स की भारी कमी सामने आई है। डॉक्टरों के पदों में 35.5% से अधिक खाली हैं, नर्सों में 18.5%, जबकि पैरामेडिक्स के पदों में 55.8% की कमी देखी गई है। खासकर जयपुर जिले में पदों की भारी कमी है, जहां 65.61% पद खाली हैं। इसके अलावा बारां (49.11%), जालोर (43.12%), पाली (40.53%), और राजसमंद (39.50%) में भी स्वास्थ्य कर्मियों के पद काफी खाली हैं।
यह कमी न केवल कफ सिरप जैसे जरूरी दवाओं के जांच में देरी और लापरवाही की वजह बनी है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी गहरा असर डाल रही है। बच्चों की मौत के बाद यह मामले राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरीक्षणों की कमी और चिकित्सा कर्मियों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी पर्याप्त संसाधन और बेहतर निगरानी की जरूरत बनी हुई है। कैग की इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि राजस्थान में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए ठोस और पारदर्शी कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही और दुर्घटनाएं न हों।