जयपुर SMS अस्पताल अग्निकांड: मौतों के आंकड़ों पर उठा सवाल, परिजनों ने विभाग के दावे को बताया गलत

जयपुर के सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल में लगी भीषण आग की घटना के बाद अब मौतों के सही आंकड़े को लेकर सवाल उठने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस हादसे में 6 लोगों की मौत हुई है, जबकि मृतकों के परिजनों का दावा है कि मरने वालों की संख्या 8 है। परिजनों का आरोप है कि प्रशासन सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रहा है और कई पीड़ितों के नाम आधिकारिक सूची से हटा दिए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर उठे सवाल

आग की इस त्रासदी के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिन 6 मरीजों की मौत की पुष्टि की है, उनकी सूची जारी कर दी गई है। बताया गया कि आग अस्पताल के न्यूरो आईसीयू की दूसरी मंजिल पर लगी थी और सभी छह मृतक वहीं भर्ती थे। हालांकि, आगरा की सर्वेश और सवाई माधोपुर के दिगंबर रेगर — इन दो मरीजों के नाम सूची में नहीं हैं। विभाग का कहना है कि ये दोनों मरीज न्यूरो आईसीयू में नहीं बल्कि सेमी-आईसीयू वार्ड में भर्ती थे, इसलिए इन्हें “आग से मृत” श्रेणी में नहीं रखा गया।


परिजनों ने जताई नाराजगी

सर्वेश के भतीजे रमाकांत ने बताया कि “आग लगने के बाद चारों तरफ धुआं फैल गया था, कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने अपनी चाची का बिस्तर धक्का देकर बाहर निकाला और उन्हें सुरक्षित जगह ले गया। इसके बावजूद उनकी हालत बिगड़ गई और बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया।” वहीं, दिगंबर रेगर के भाई कैलाश ने कहा कि “जब आग लगी, तब कोई सहायता नहीं मिल रही थी। मजबूरी में हमें खुद ही ऑक्सीजन सपोर्ट हटाकर दिगंबर को बाहर निकालना पड़ा। लेकिन स्वास्थ्य विभाग अब कह रहा है कि यह मौत आग से नहीं हुई।”

अधिकारियों का बयान

ट्रॉमा विंग के निलंबित उपाधीक्षक डॉ. सुशील भाटी ने कहा कि “कुछ मरीज पहले से गंभीर हालत में थे। आग के दौरान उन्हें बाहर ट्रांसफर किया गया, इसलिए उनकी मौत सीधे तौर पर आग से नहीं जुड़ी मानी जा सकती।” एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि “हताहतों की सूची में केवल वही लोग शामिल किए गए हैं, जिनकी मौत आग या दम घुटने से हुई है। अन्य मरीजों की मृत्यु आग के बाद की परिस्थितियों में हुई, इसलिए उन्हें उस सूची में नहीं रखा गया।”

सवाल अब भी बरकरार

परिजन इस तर्क से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि चाहे आग से दम घुटा हो या ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई हो, जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की ही बनती है। वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि आग लगने के दौरान न तो अलार्म सिस्टम ने काम किया और न ही फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम थे।