जयपुर में दहेज के लिए विवाहिता की संदिग्ध मौत, पिता ने पति और ससुराल पर लगाया हत्या का आरोप

राजधानी जयपुर के श्याम नगर इलाके में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। स्वप्रिल जैन नामक एक विवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर उनके पिता योगेश चंद जैन ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि यह एक दहेज हत्या है, जिसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया।

शादी के बाद से जारी था मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न

स्वप्रिल का विवाह 11 जुलाई 2013 को अक्षय जैन से हुआ था। पिता योगेश के अनुसार, विवाह के बाद से ही स्वप्रिल को दहेज की मांग को लेकर लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा। अक्षय, जो कि शराब और नशीली दवाओं का आदी बताया गया है, अक्सर नशे की हालत में स्वप्रिल के साथ मारपीट करता था। स्वप्रिल कई बार अपने नौ वर्षीय बेटे ओजस के साथ मायके अलवर लौट चुकी थीं, लेकिन सामाजिक दबाव और बच्चे के भविष्य के लिए वह बार-बार ससुराल लौटने को मजबूर होती रहीं।

बेटे की कॉल से हुआ खुलासा

20 जुलाई 2025, दोपहर करीब 12:22 बजे, स्वप्रिल के बेटे ओजस ने नाना योगेश को मां के फोन से कॉल कर बताया कि, “मम्मी ज़मीन पर पड़ी हैं और कुछ बोल नहीं रही हैं।” यह सुनते ही योगेश ने अपने भतीजे को तुरंत मौके पर भेजा। भतीजे ने बताया कि जब वह एसएमएस अस्पताल पहुंचे, तो स्वप्रिल का शरीर नीला पड़ चुका था और गर्दन पर चोट के गहरे निशान थे।

पुलिस को पहले भी दी गई थी शिकायत, फिर भी नहीं हुई सख्त कार्रवाई

स्वप्रिल ने इससे पहले भांकरोटा थाने में पति और ससुराल पक्ष द्वारा मारपीट और दहेज प्रताड़ना की शिकायत दर्ज करवाई थी, लेकिन पुलिस ने समझौते की सलाह देकर मामला बंद कर दिया। बाद में 1 फरवरी 2024 को अलवर महिला थाना में भी एफआईआर दर्ज कराई गई थी। बावजूद इसके, अक्षय ने आसानी से जमानत ले ली और उत्पीड़न का सिलसिला जारी रहा।

अब हुई एफआईआर, जांच इंस्पेक्टर दलवीर सिंह के हवाले

खासखबर डॉट कॉम की खबर के अनुसार योगेश ने 20 जुलाई 2025 को श्याम नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर 21 जुलाई को एफआईआर दर्ज की गई। मामले की जांच इंस्पेक्टर दलवीर सिंह को सौंपी गई है। जांच भारतीय नवीन संहिता की धारा 108 और 61(2) के तहत की जा रही है।

हत्या के बाद साक्ष्य मिटाने का आरोप, पति अंतिम संस्कार में भी नहीं आया


योगेश का कहना है कि स्वप्रिल की मृत्यु के बाद जब अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं, तब अक्षय वहां मौजूद नहीं था, बल्कि साक्ष्य मिटाने में लगा हुआ था। बेटा ओजस, जो इस पूरी घटना का प्रत्यक्ष गवाह है, इस समय गहरे सदमे में है। योगेश का आरोप है कि ससुराल वाले अब ओजस को भी मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं और उसका इस्तेमाल सच्चाई छिपाने के लिए कर रहे हैं।

सामाजिक संगठनों और महिला आयोग की नाराज़गी

इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय समाजसेवी संगठनों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और महिला आयोग ने कड़ी निंदा करते हुए पुलिस से त्वरित और निष्पक्ष जांच की मांग की है। यह मामला न केवल एक पारिवारिक त्रासदी है, बल्कि हमारे समाज में अब भी जीवित दहेज प्रथा और महिला उत्पीड़न की भयावह सच्चाई को उजागर करता है।

पुलिस को देनी चाहिए सख्त मिसाल

कानून विशेषज्ञों का कहना है कि यह केस 498A, 304B, और IPC की अन्य धाराओं के तहत बेहद गंभीर है और अगर इसमें दोष सिद्ध होता है, तो सख्त से सख्त सज़ा होनी चाहिए ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।