भरतपुर। राजस्थान में इस बार मानसून जहां आमजन को तपती गर्मी से राहत देने वाला साबित हुआ, वहीं किसानों के लिए यह आफत बनकर बरसा। भरतपुर संभाग में लगातार हो रही भारी बारिश ने खरीफ की फसलों को गहरा नुकसान पहुंचाया है। खेतों में पानी भर जाने से हजारों किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर गया। कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार अब तक 19,170 हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं।
सबसे अधिक तबाही करौली जिले में हुई है, जहां अकेले 8,838 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें बर्बाद हो गई हैं। वहीं, भरतपुर में 1,769 और धौलपुर में 1,567 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। फसलों के बीच पानी भर जाने से खेतों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि कुछ जगहों पर बांधों के गेट तक खोलने पड़े।
बाजरा सबसे ज्यादा प्रभावित, तिल और उड़द भी चपेट मेंफसलवार नुकसान के आंकड़ों पर नजर डालें तो बाजरा सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जिसकी 13,290 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है। इसके अलावा तिल (2,250 हेक्टेयर), उड़द (1,675 हेक्टेयर), ज्वार (918 हेक्टेयर), मूंग (353 हेक्टेयर), मूंगफली, मक्का, ग्वार और सोयाबीन की फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। कुल मिलाकर भरतपुर संभाग के किसानों को बड़ा आर्थिक झटका लगा है।
करौली जिले में 75% से अधिक खराबा 876 हेक्टेयर में दर्ज किया गया है, जबकि अन्य क्षेत्रों में आंशिक नुकसान हुआ है। भरतपुर में ज्वार और बाजरा की फसल पर असर पड़ा है, जबकि धौलपुर में अलग-अलग स्तर पर बाजरा बर्बाद हुआ है। सवाई माधोपुर में भी 270 हेक्टेयर फसलों को नुकसान पहुंचा है, जिससे साफ है कि पूरा भरतपुर संभाग अतिवृष्टि की मार झेल रहा है।
किसानों की उम्मीदें टूटीं, राहत की आस बाकीखेतों में पानी भरने और फसलें नष्ट होने के बाद किसान गहरे संकट में हैं। पुराबाई खेड़ा के किसान मुकेश ने बताया कि उन्होंने उधार लेकर बीज, खाद और कीटनाशक खरीदे थे, लेकिन अब जब फसलें ही नहीं रहीं तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो गया है। किसान अब सरकार से फसल बीमा, आपदा राहत और कर्ज माफी जैसी योजनाओं की उम्मीद लगाए बैठे हैं। हालांकि, कई किसानों को यह भी डर है कि अगर नुकसान का सही आंकलन नहीं हुआ तो वे मुआवजे से वंचित रह जाएंगे।
कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि क्षेत्रवार और फसलवार नुकसान का आंकलन किया जा रहा है और रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कोई भी पात्र किसान राहत से वंचित नहीं रहेगा। प्रशासन की कोशिश है कि जल्द से जल्द प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे फिर से खेती के लिए तैयार हो सकें।