राजस्थान में चुनाई पत्थर, बजरी और मिनरल्स हुए महंगे, सरकार ने रॉयल्टी दरें 30% तक बढ़ाईं

जयपुर। राजस्थान में अब निर्माण कार्य से जुड़ी सामग्रियाँ महंगी हो जाएंगी, क्योंकि राज्य सरकार ने माइनर मिनरल्स यानी अप्रधान खनिजों पर रॉयल्टी दरों में 10 से 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। चुनाई पत्थर, बजरी, ईंट मिट्टी, ग्रेनाइट, मार्बल आदि की कीमतें अब आम जनता और बिल्डर्स की जेब पर असर डालेंगी। खान विभाग की सिफारिश पर सरकार ने 4 साल बाद यह संशोधन किया है।

रॉयल्टी दरें बढ़ीं, जनता पर बढ़ेगा बोझ

राजस्थान में 2021 के बाद अब 2025 में रॉयल्टी दरों में संशोधन किया गया है। सरकार द्वारा गुरुवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, कई खनिजों की रॉयल्टी दरें 10 से 30% तक बढ़ा दी गई हैं। इसका सीधा असर भवन निर्माण, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे पर पड़ेगा क्योंकि अब निर्माण सामग्रियाँ और महंगी हो जाएंगी।

नई और पुरानी दरों की तुलना


राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही में खनिजों की रॉयल्टी दरों में बढ़ोतरी की गई है, जिससे राज्य में निर्माण कार्यों से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों पर सीधा असर पड़ने की संभावना है। नई और पुरानी दरों की तुलना से स्पष्ट है कि लगभग सभी खनिजों पर रॉयल्टी दर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई है।

सबसे अधिक बढ़ोतरी सैण्डस्टोन (बालू पत्थर) की रॉयल्टी दर में देखी गई है, जहां पुरानी दर ₹240 प्रति टन थी, वहीं अब इसे बढ़ाकर ₹320 कर दिया गया है, जो लगभग 33 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसी प्रकार लाइमस्टोन (चूना पत्थर) की दर ₹140 से बढ़ाकर ₹170 की गई है, जो लगभग 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। 'लाइमस्टोन एंड लाइम' की नई दर ₹175 हो गई है, जबकि पहले यह ₹145 थी, यानी लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

लाइम कंकर पर भी 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसमें रेट ₹32 से बढ़ाकर ₹40 प्रति टन कर दी गई है। मार्बल जैसे बहुप्रयुक्त खनिज की दर ₹500 से बढ़ाकर ₹550 की गई है, जो 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दर्शाता है। ग्रेनाइट पर अपेक्षाकृत कम यानी सिर्फ 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें रेट ₹290 से बढ़ाकर ₹300 किया गया है।

मेसनरी स्टोन की दर ₹44 से बढ़ाकर ₹55 कर दी गई है, जो लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि है। बजरी की दर ₹50 से ₹60 कर दी गई है, जिससे इसमें 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ईंट निर्माण में प्रयुक्त मिट्टी यानी ब्रिक अर्थ की दर भी ₹32 से ₹40 कर दी गई है, जो 25 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। स्लेट स्टोन की रॉयल्टी दर भी ₹185 से बढ़कर ₹210 हो गई है, यानी करीब 13.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

वहीं अगाटे (Agate) जैसे विशिष्ट खनिज की रॉयल्टी दर ₹145 से बढ़ाकर ₹180 कर दी गई है, जिससे इसमें लगभग 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इन नई दरों से स्पष्ट है कि राज्य सरकार ने खनन क्षेत्र से अधिक राजस्व प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, लेकिन इसका असर निर्माण, भवन निर्माण सामग्री की लागत और छोटे व्यवसायों पर पड़ेगा, जो इन खनिजों पर निर्भर हैं।

रॉयल्टी संशोधन क्यों हुआ?


खनिज विभाग ने रॉयल्टी दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव इसलिए दिया था क्योंकि नियमों के अनुसार हर तीन साल में दरें संशोधित की जा सकती हैं। चूंकि पिछली वृद्धि 2021 में हुई थी, इसलिए अब 2025 में संशोधन हुआ है। सरकार का मानना है कि इससे राज्य के राजस्व में इजाफा होगा, लेकिन आम नागरिकों और निर्माण उद्योग पर बोझ बढ़ना तय है।

जनता और उद्योगों पर क्या होगा असर?

निर्माण लागत बढ़ेगी:
मकान बनवाने, सड़क निर्माण और सरकारी ठेकों की लागत में इजाफा होगा।

बजरी-रेत की कमी: बजरी के दाम पहले से ही विवाद और पर्यावरणीय मंजूरी के कारण अस्थिर हैं, अब और महंगे होंगे।

ईंट और पत्थरों की कीमतें भी बढ़ेंगी:
ईंट-भट्ठा और पत्थर की खदानों में लागत बढ़ेगी, जो अंतिम उपभोक्ताओं तक ट्रांसफर की जाएगी।

छोटे बिल्डर्स प्रभावित होंगे:
छोटे निर्माण कार्य और ग्रामीण क्षेत्र के निर्माण प्रोजेक्ट अधिक महंगे हो सकते हैं।

राजस्थान में खनिज रॉयल्टी दरों में यह वृद्धि निश्चित रूप से सरकार के राजस्व को बढ़ावा देगी, लेकिन इसका भार आम जनता और निर्माण क्षेत्र को झेलना होगा। मकान बनवाना और मरम्मत कराना अब पहले से महंगा साबित हो सकता है। यदि आप आने वाले महीनों में कोई कंस्ट्रक्शन प्लान कर रहे हैं, तो बजट और सामग्रियों की लागत पर पुनर्विचार जरूरी होगा।