जयपुर। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने एक नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है, जो राज्य की सीमाओं से परे जाकर राजस्थान जैसे राज्यों तक फैली हुई है। पार्टी की योजना अब केवल बिहार में ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रवासी बिहारी मतदाताओं पर भी नजर गड़ा दी गई है, जो राजस्थान जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में बसे हुए हैं। यह कदम न केवल चुनावी गणित को प्रभावित कर सकता है, बल्कि पहली बार राजस्थान में बिहारी समाज की राजनीतिक अहमियत को खुले तौर पर स्वीकारने जैसा भी है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के जरिए भाजपा इन दिनों प्रदेश में रहने वाले बिहारी मतदाताओं की संख्या को जुटाने में लगी है। इसके लिए प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी संयोजक और महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुमन शर्मा को सह संयोजक बनाकर प्रदेश स्तरीय टीम का भी गठन किया है। ये प्रदेश स्तरीय टीम हर जिलों से आंकड़े जुटा रही है। इसके साथ ही संस्कृति का आदान प्रदान किया जा रहा है। बीजेपी इस तरह बिहारी वोट बैंक पर पकड़ मजबूत का रही है। इस अभियान में प्रदेश के सभी जिलों में रहने वाले बिहारी मतदाताओं को चिह्नित कर पार्टी की रीती और निति से भी जोड़ा जा रहा है, ताकी आगामी बिहार चुनाव में इसका लाभ मिल सके।
क्या है 'एक भारत श्रेष्ठ भारत'मार्च से प्रदेश में 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' शुरुआत की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रहने वाले विविध संस्कृतियों के लोगों के बीच सक्रिय रूप से बातचीत और आपसी समझ को बढ़ावा देना है। भाजपा ने इस अभियान को संगठन में लागू किया ताकि संस्कृति का आदान प्रदान किया जा सके। इसके साथ ही प्रवासी राज्यों में पार्टी की पकड़ मजबूत हो। इस अभियान के तहत राजस्थान में पार्टी बिहारी समुदाय पर काम किया जा रहा है। पार्टी ने देशभर के उन जिलों को सूचीबद्ध किया है, जहां बिहारी समाज की संख्या है। अभियान में बिहारी मतदाताओं का डेटा एकत्रित करने और उनका मानचित्रण करने का काम किया जा रहा है।
भाजपा के एक अनुमान के अनुसार, लगभग 2 करोड़ प्रवासी बिहारी विभिन्न राज्यों में रहते हैं, जिनमें से लगभग 65% अभी भी बिहार में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। इसका मोटे तौर पर मतलब है कि 1।3 करोड़ मतदाता बिहार से बाहर रहते हैं, जिनमें से अधिकांश दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में रहते हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा 2020 में कोविड की पहली लहर के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों पर भी गौर कर रही है। बिहार सरकार ने तब घोषणा की थी कि प्रत्येक प्रवासी श्रमिकों के खातों में 1,000 रुपए हस्तांतरित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि लगभग 13 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे। भाजपा ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान छोटे स्तर पर प्रवासी मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयोग किया था, लेकिन बिहार पहला राज्य है जहां पार्टी इसे बड़े स्तर पर लागू करने का लक्ष्य रखती है।
'मतदाता' और 'समर्थक'राजस्थान में अभियान के संयोजक श्रवण सिंह बगड़ी ने बताया कि बिहार में कुछ लोग मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो राजस्थान में बस गए हैं, लेकिन पार्टी के समर्थक हैं। हम उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे अपने परिवार के सदस्यों को पार्टी का समर्थन करने के लिए मनाएं। राजस्थान में, पार्टी ने पहले 6 जिलों में इस अभियान को शुरू किया था, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश के बाद सभी जिलों में इस अभियान को लागू किया, जहां बिहार से आए प्रवासी रहते हैं। एक अनुमान के अनुसार, राजस्थान में लगभग 6,00,000 बिहार के निवासी हैं। स्थानीय भाजपा इकाइयां विभिन्न जिलों में बिहारी प्रवासियों का डेटा एकत्र करने और उसका मानचित्र करने में व्यस्त हैं, जिसे भाजपा के आंतरिक 'सरल' ऐप पर डाला जा रहा है।
प्रत्येक जिले में बनी टीम• संयोजक और तीन संयोजक के नेतृत्व में बनी टीम
• हर विधानसभा पर बनाया गया प्रभारी
• दोनों राज्यों की संस्कृति का हो रहा आदान प्रदान
• अभियान के जरिये बिहारी समाज को पार्टी की रीति नीति से जोड़ने पर हो रहा काम
• प्रदेश अनुमानित 6 लाख से ज्यादा का आंकड़ा
• बिहार से नेताओं को बुला कर कार्रवाई जा रही है कार्यशाला
हर जिले में बनी टीमअभियान की सहसंयोजक सुमन शर्मा ने बताया कि एक राज्य से दूसरे राज्य की संस्कृति के अदान प्रदान के लिए शुरू हुए इस अभियान के तहत राजस्थान के सभी संगठनात्मक जिलों में टीम तैयार कर दी हैं। 3 मार्च से राजस्थान के सभी जिलों में जितने भी बिहार के प्रवासी हैं, उनका एक डेटाबेस तैयार कर रहे हैं। इसके लिए राजस्थान के सभी संगठनात्मक जिलों में टीम बना दी है। इसमें एक संयोजक और तीन सहसंयोजक के रूप में, विधानसभा प्रभारी के रूप में और एक पूरे जिले के प्रभारी के रूप में पूरी टीम बनी है। ये टीम राजस्थान में रह रहे सभी बिहारी समाज के सदस्यों से मेल मुलाकात कर उनकी पूरी जानकारी का एक डेटाबेस तैयार कर रही है। सभी से फॉर्म भरवाए जा रहे हैं, फिर उसे सरल ऐप पर डाउनलोड किया जा रहा है। सुमन शर्मा ने कहा कि इसका मकसद एक दूसरे से कनेक्ट करना है। एक दूसरे की संस्कृति को अदान-प्रदान करना है। बहुत अच्छी मात्रा में राजस्थान में बिहारी समाज के लोग सर्विसेज दे रहे हैं। उन्हें पार्टी की नीति और रीति से जोड़ने पर काम किया जा रहा है। भारत सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं से भी लाभान्वित किया जा रहा है।
बिहारियों को रिझाने की कोशिशभाजपा बिहार के बाहर रहने वाले बिहारियों को रिझाने की कोशिश कर रही है, ताकि उन्हें बिहार चुनाव में पार्टी के लिए वोट करने के लिए मनाया जा सके। पार्टी इसके लिए अलग-अलग तरीके अपना रही है, जैसे कि कार्यक्रम आयोजित करना और डेटा इकट्ठा करना, हालांकि सवाल तो यह भी उठ रहा है कि क्या इन मतदाताओं को चुनाव के समय पार्टी मतदान के लिए बिहार जाने आने की व्यवस्था करेगी। इसमें बड़ी सख्या उन बिहारी समाज की है जो मजदूरी करते हैं और वो मतदान के लिए अपने खर्चे पर बिहार जाएं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह रणनीति बिहार चुनाव में कितना काम करती है। बिहार से बाहर रहने वाले लोग भाजपा के लिए वोट करेंगे? क्या इससे चुनाव के नतीजे बदलेंगे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब आने वाले समय में मिलेंगे, लेकिन यह मान कर चलिए बिहार चुनाव भाजपा के लिए किसी बड़े मिशन से कम नही है। बिहार के चुनाव परिणाम देश की सियासत दखल रखते हैं।