केरल के पथानामथिट्टा जिले में स्थित सबरीमला श्री धर्म संस्था मंदिर में सोने की परत से जुड़े बड़े घोटाले की जांच विशेष जांच दल (SIT) ने तेज कर दी है। इस मामले में मंदिर की द्वारपालक मूर्तियों से कथित तौर पर 200 से अधिक सोने के सिक्कों की चोरी का संदेह जताया जा रहा है। जांच के लिए एसआईटी की टीम मुख्य मंदिर परिसर सन्निधानम पहुंच गई है और वहां विस्तृत पूछताछ शुरू कर दी है।
एसपी शशिधरन के नेतृत्व वाली टीम का सबसे पहला फोकस उन द्वारपालक मूर्तियों की बाहरी प्लेटों पर है, जिन्हें मरम्मत और स्वर्ण-रोपण के लिए चेन्नई स्थित एक कंपनी को भेजा गया था। इस प्रक्रिया के बाद ये प्लेटें वापस मंदिर लाई गई थीं, जहां से अब जांच में भारी गड़बड़ी सामने आई है।
इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर सेवानिवृत्त न्यायाधीश के.टी. शंकरन सबरीमला के स्ट्रांग रूम में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए सोने और अन्य कीमती वस्तुओं की सूची की निगरानी कर रहे हैं। जब यह गणना पूरी होगी, तो जांच अरनमुला के स्ट्रांग रूम तक भी फैलेगी, जहां बड़ी मात्रा में सोना संग्रहित है।
जांच में मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी के हैदराबाद स्थित सहयोगी नागेश की गतिविधियों पर विशेष नजर रखी जा रही है। नागेश पर मंदिर से चोरी किए गए सोने को जमा करने और चेन्नई में सोने की परत चढ़ाने के काम के लिए प्लेटों को भेजने का आरोप है। प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि पोट्टी ने मूर्तियों की असली सोने की परत चोरी कर ली होगी या बेच दी होगी।
1999 में व्यवसायी विजय माल्या द्वारा प्रायोजित सोने की प्लेटिंग में 258 सोने के सिक्के थे, लेकिन लौटाई गई प्लेटों में मात्र 36 सिक्के बचे हैं। इस भारी कमी ने जांचकर्ताओं के संदेह को और बढ़ा दिया है। सतर्कता रिपोर्ट में भी इन प्लेटों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए गए हैं।
एसआईटी जल्द ही मुख्य आरोपी पोट्टी से पूछताछ करेगी, जिससे मामले की गुत्थी सुलझाने की उम्मीद है। इस जांच से मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था और संपत्ति संरक्षण की व्यापक समीक्षा भी होगी।