
कांग्रेस सांसद शशि थरूर और केरल कांग्रेस के बीच एक बार फिर टकराव उभर आया है। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब थरूर ने दावा किया कि नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव के लिए उन्हें पार्टी की स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया गया था। इस बयान ने हलचल मचा दी, लेकिन अब केरल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष सनी जोसेफ ने उनके दावे को सिरे से खारिज करते हुए उलटा थरूर को ही झूठा बता दिया है।
केरल कांग्रेस का पलटवारसनी जोसेफ का कहना है कि पार्टी द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई आधिकारिक सूची में शशि थरूर का नाम स्पष्ट रूप से मौजूद था। उन्होंने कहा कि सूची प्रकाशित की गई थी और उसमें कोई संशय नहीं था। उनका आरोप है कि थरूर अधिकतर समय विदेश में व्यस्त रहे और फिर दिल्ली लौट गए, शायद इसी कारण से वे प्रचार में सक्रिय भूमिका नहीं निभा सके। सनी जोसेफ ने यह भी जोड़ा कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि थरूर उपचुनाव के दौरान केरल लौटे भी थे या नहीं।
अन्य नेताओं की सक्रिय भागीदारीकेरल कांग्रेस की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि ए.के. एंटनी को छोड़कर लगभग सभी वरिष्ठ नेता नीलांबुर उपचुनाव में प्रचार के लिए सक्रिय रूप से मौजूद थे। इसमें रमेश चेन्निथला और कोडिकुन्निल सुरेश जैसे बड़े नेताओं का नाम शामिल किया गया जो उम्मीदवार आर्यदान शौकत के लिए प्रचार में जुटे थे। ऐसे में थरूर की गैरमौजूदगी को लेकर पार्टी अब सफाई के मूड में नहीं दिख रही, बल्कि तीखे शब्दों में उनका खंडन कर रही है।
थरूर का शांत लेकिन तंज भरा बयानशशि थरूर ने खुद भी यह स्वीकार किया है कि वह उस दौरान राजनयिक दौरे पर विदेश में थे। उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी की ओर से कोई औपचारिक आमंत्रण नहीं मिला, और जब वह लौटे तब भी कांग्रेस नेतृत्व की ओर से कोई संदेश या आग्रह नहीं आया। मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा कि कोई मिस्ड कॉल भी नहीं थी जो यह जताता कि पार्टी चाहती थी कि वे प्रचार में शामिल हों।
कूटनीतिक दौरे के बाद चर्चा में थरूरथरूर हाल ही में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका समेत पांच देशों के दौरे से लौटे हैं। इस दौरान उन्होंने वाशिंगटन डीसी में पाकिस्तान पर तीखा हमला भी किया और वहां भारत के हितों की मुखर वकालत की। इस यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात भी हुई, जिसने कांग्रेस नेतृत्व के साथ उनके संबंधों को लेकर और भी अटकलें खड़ी कर दीं।
पार्टी में अंतर्विरोध के संकेतथरूर भले ही मतभेदों को सार्वजनिक रूप से कमतर आंक रहे हों, लेकिन यह स्पष्ट होता जा रहा है कि कांग्रेस के भीतर अंदरूनी संघर्ष मौजूद है। पार्टी के एक धड़े को थरूर की लोकप्रियता और स्वतंत्र राय से परेशानी है, जबकि थरूर अपनी विशिष्टता और खुले विचारों के कारण अक्सर विवादों में रहते हैं। अब जब केरल कांग्रेस ने उन्हें सीधे तौर पर झूठा कहा है, तो यह विवाद महज नीलांबुर उपचुनाव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे में खिंचाव की दिशा को और भी उजागर कर सकता है।