
मध्य पूर्व में हालात लगातार विस्फोटक होते जा रहे हैं। अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स पर सीधा हवाई हमला कर दिया है, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में गहरी चिंता की लहर दौड़ गई है। इस हमले के तुरंत बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से बातचीत कर स्थिति की गंभीरता पर चर्चा की और शांति बहाल करने का आह्वान किया।
अमेरिका का हमला, परमाणु ठिकानों को बनाया निशानाभारतीय समयानुसार रविवार सुबह 4:30 बजे अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और एस्फाहान स्थित परमाणु ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। इन ठिकानों को ईरान की न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्रक्रिया का मुख्य केंद्र माना जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कार्रवाई ईरान की बढ़ती परमाणु क्षमताओं को नष्ट करने के उद्देश्य से की गई है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि ईरान बीते 40 वर्षों से अमेरिका विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है।
ईरान का जवाबी हमला, इजरायल पर दागीं मिसाइलेंअमेरिकी हमले के कुछ ही घंटों बाद ईरान ने इजरायल पर जवाबी हमला किया। इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) के अनुसार, रविवार सुबह ईरान ने 30 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनका निशाना तेल अवीव, हाइफा और यरुशलम जैसे महत्वपूर्ण शहर बने। स्थानीय मीडिया ने बताया कि तेल अवीव और हाइफा में जोरदार धमाकों की आवाजें सुनी गईं, जबकि इजरायल के डिफेंस सिस्टम ने कुछ मिसाइलों को रोकने का प्रयास किया।
आईडीएफ ने एक बयान में कहा कि उन्होंने ईरान द्वारा दागी गई मिसाइलों की एक और लहर को डिटेक्ट किया है और सुरक्षा बल अलर्ट मोड में हैं।
पीएम मोदी की पहल: कूटनीति से समाधान की अपीलघटनाक्रम के कुछ ही घंटों बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर (एक्स) पर एक पोस्ट साझा कर जानकारी दी कि उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से बातचीत की है। पीएम मोदी ने लिखा, ईरान के राष्ट्रपति से बात की। हमने मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की और हाल की तनावपूर्ण घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। मैंने तुरंत तनाव कम करने, बातचीत और कूटनीति के रास्ते को अपनाने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने की हमारी अपील को दोहराया।
यह बातचीत इस बात का संकेत है कि भारत, जो ऐतिहासिक रूप से तटस्थ और संतुलित विदेश नीति अपनाता रहा है, इस बार भी क्षेत्रीय शांति के पक्ष में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
आगे क्या?अमेरिकी हमले और ईरान की प्रतिक्रिया ने इस पूरे संघर्ष को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आशंका जताई जा रही है कि यदि हालात पर काबू नहीं पाया गया, तो यह संघर्ष एक व्यापक युद्ध में तब्दील हो सकता है, जिसका असर पूरी दुनिया पर होगा। भारत जैसे देशों के लिए यह स्थिति न केवल राजनयिक चुनौती है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिहाज़ से भी बेहद चिंताजनक है।
ईरान-इजरायल टकराव अब केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रहा, इसमें अमेरिका की भागीदारी ने इसे वैश्विक संकट की शक्ल दे दी है। भारत ने जहां कूटनीतिक संतुलन बनाते हुए शांति की पहल की है, वहीं आने वाले दिनों में इस तनाव का असर वैश्विक राजनीति, कच्चे तेल की कीमतों और आर्थिक स्थिरता पर भी गहराई से देखने को मिल सकता है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या क्षेत्रीय और वैश्विक नेतृत्व इस संकट को टालने में सफल होगा या नहीं।