
भारतीय उद्योग जगत में एक बार फिर अधिग्रहण की बड़ी हलचल देखी जा रही है। संकटग्रस्त जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) की दिवाला समाधान प्रक्रिया को लेकर देश की पांच बड़ी कंपनियों ने इसमें गहरी रुचि दिखाई है। अदाणी से लेकर वेदांता तक कई दिग्गज खिलाड़ियों ने बोली पेश कर यह संकेत दिया है कि जेएएल की संपत्तियों और परियोजनाओं में अब भी व्यापक कारोबारी संभावनाएं हैं।
दिवाला समाधान प्रक्रिया में पांच बोलियां प्राप्तजेएएल ने बुधवार को शेयर बाजार को जानकारी दी कि उसे कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के तहत पांच समाधान योजनाएं प्राप्त हुई हैं। कंपनी ने बताया कि ये समाधान योजनाएं तय तारीख तक बयाना राशि (Earnest Money Deposit) के साथ प्राप्त हुई हैं, हालांकि कंपनियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, जो पांच कंपनियां दौड़ में हैं वे हैं:1. अदाणी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises)
2. वेदांता समूह (Vedanta Group)
3. डालमिया भारत सीमेंट (Dalmia Bharat Cement)
4. जिंदल पावर (Jindal Power)
5. पीएनसी इन्फ्राटेक (PNC Infratech)
जेपी इन्फ्राटेक की योजना खारिज, NARCL दौड़ में सबसे आगेसूत्रों ने बताया कि जेपी इन्फ्राटेक की ओर से पेश समाधान योजना को कुछ आवश्यक मानदंड पूरे न कर पाने के कारण खारिज कर दिया गया है। पहले इस कंपनी का अधिग्रहण सुरक्षा समूह ने किया था।
वहीं, लेनदारों के गठजोड़ में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई में नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरी है, जिसने जेएएल के भारी-भरकम कर्ज पोर्टफोलियो में दिलचस्पी दिखाई है।
57 हजार करोड़ रुपये का कर्ज, कई क्षेत्रों में फैला कारोबारजेएएल पर लेनदारों का कुल दावा 57,185 करोड़ रुपये का है। इस संकट के चलते कंपनी को तीन जून, 2024 को इलाहाबाद स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की पीठ द्वारा दिवाला समाधान प्रक्रिया में स्वीकार किया गया। अप्रैल 2025 में 25 से अधिक कंपनियों ने अधिग्रहण में रुचि दिखाई थी, जिनमें से अब पांच ने औपचारिक बोलियां पेश की हैं।
जेएएल का व्यवसाय रियल एस्टेट, सीमेंट, होटल, इंजीनियरिंग और निर्माण जैसे विविध क्षेत्रों में फैला हुआ है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रोजेक्ट्स, उत्तर भारत में होटल व सीमेंट प्लांट्सजेएएल की प्रमुख रियल एस्टेट परियोजनाएं नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे हाई-प्रोफाइल क्षेत्रों में हैं। इनमें जेपी ग्रीन्स और विशटाउन जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी, जो कि आगामी जेवर एयरपोर्ट के नजदीक स्थित है, भी अधिग्रहण के लिए एक आकर्षक संपत्ति मानी जा रही है।
होटल व्यवसाय के तहत कंपनी के पास दिल्ली-एनसीआर, मसूरी और आगरा में पांच प्रमुख संपत्तियां हैं। वहीं, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में इसके पास चार सीमेंट कारखाने और कुछ चूना पत्थर की खदानें हैं। हालांकि वर्तमान में ये संयंत्र परिचालन में नहीं हैं, लेकिन अधिग्रहणकर्ताओं के लिए इनका भविष्य में पुनः संचालन एक रणनीतिक विकल्प हो सकता है।
कर्ज से उबरने की उम्मीद, लेकिन प्रतिस्पर्धा कड़ीकंपनी के पास जिस स्तर की संपत्तियां और इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, उसे देखते हुए यह अधिग्रहण न केवल कंपनी के लिए राहत का द्वार खोल सकता है, बल्कि अधिग्रहणकर्ता कंपनी के लिए भी एक बड़ा कारोबारी विस्तार साबित हो सकता है।
अब सबकी निगाहें उस अंतिम फैसले पर टिकी हैं, जिसमें ऋणदाता सबसे उपयुक्त समाधान योजना को मंजूरी देंगे। ये फैसला जेएएल की किस्मत और भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर बाजार की दिशा दोनों को प्रभावित कर सकता है।