
ईरान और इज़राइल के बीच बीते 12 दिनों से चल रहा युद्ध आखिरकार थम गया है। दोनों देशों की ओर से सीजफायर की घोषणा होते ही वैश्विक बाजारों में हलचल देखने को मिली। शेयर बाजारों में जबरदस्त तेजी आई तो वहीं सोने और चांदी जैसी सुरक्षित निवेश मानी जाने वाली धातुओं में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा युद्ध विराम की घोषणा के बाद निवेशकों की जोखिम लेने की प्रवृत्ति बढ़ी और सुरक्षित पनाह समझी जाने वाली संपत्तियों की मांग घट गई।
भारतीय बाजार में गिरा सोना और चांदी
मंगलवार को भारतीय मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमतों में 2.10% यानी ₹2100 की गिरावट देखी गई। सोना ₹97,307 प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करता दिखा, जो इस महीने का सबसे बड़ा एकदिनी नुकसान है। वहीं चांदी भी ₹1,236 या 1.16% की गिरावट के साथ ₹1,05,523 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई।
सुबह के शुरुआती कारोबार में सोना ₹96,422 प्रति 10 ग्राम के निचले स्तर तक चला गया था। जबकि चांदी का शुरुआती स्तर ₹1,06,502 प्रति किलोग्राम रहा।
वैश्विक बाजारों में भी भारी गिरावटअंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट आई।
—हाजिर सोना 0.5% गिरकर $3,351.47 प्रति औंस पर आ गया।
—अमेरिकी सोना वायदा 0.9% टूटकर $3,365.30 प्रति औंस पर पहुंच गया।
—हाजिर चांदी 0.1% गिरकर $36.10 प्रति औंस पर रही।
कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप द्वारा युद्धविराम की घोषणा के बाद निवेशकों ने सुरक्षित निवेश से दूरी बनानी शुरू कर दी है, जिससे गोल्ड-सेगमेंट में भारी बिकवाली दर्ज की गई है। अब निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल की आगामी गवाही पर टिकी है, जो कि ब्याज दरों को लेकर बाजार की दिशा तय करेगी।
क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट?कमोडिटी एनालिस्ट्स के अनुसार, युद्ध के दौरान सोने में तेजी इसलिए आती है क्योंकि निवेशक अस्थिरता के दौर में सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख करते हैं। लेकिन जैसे ही हालात सामान्य होते हैं, सोने और चांदी में निवेश घटने लगता है और मांग घटने से दाम गिर जाते हैं।
इस समय भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। ईरान-इजरायल युद्ध रुकने के साथ निवेशकों का भरोसा फिर से शेयर बाजारों और जोखिम वाले एसेट्स की ओर लौट रहा है, जिससे सोने-चांदी में गिरावट तेज हो गई है।
निवेशकों के लिए क्या संकेत?विशेषज्ञों की राय है कि निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहना चाहिए। यदि जियोपॉलिटिकल तनाव दोबारा बढ़ता है या फेड की ओर से ब्याज दरों को लेकर कोई सख्त रुख लिया जाता है, तो सोने की कीमतें फिर से उछाल मार सकती हैं।
इसलिए दीर्घकालिक निवेशक गिरावट में खरीद की रणनीति अपनाते हैं, जबकि अल्पकालिक ट्रेडर्स को सतर्कता बरतनी चाहिए।
ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम से अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी बाजार में भूचाल आ गया है। सोना-चांदी जैसी पारंपरिक निवेश संपत्तियां तेजी से फिसल रही हैं। भारतीय बाजार में भी इसका साफ असर देखने को मिल रहा है, जहां सोना एक झटके में ₹2100 और चांदी ₹1200 से अधिक टूटी है। आने वाले दिनों में फेड की गवाही और वैश्विक हालात पर नजर रखना जरूरी होगा, क्योंकि यही सोने-चांदी की आगामी चाल तय करेंगे।