दिल्ली-एनसीआर में शीत ऋतु शुरू होते ही प्रदूषण का स्तर एक बार फिर गंभीर रूप ले लिया है। आज सुबह 7 बजे के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अधिकांश इलाकों में AQI 300 के पार पहुँच चुका है, जो बहुत खराब (Very Poor) और कुछ जगहों पर गंभीर (Severe) श्रेणी में आता है। इस बार भी मुख्य प्रदूषक PM2.5 है। नीचे प्रमुख क्षेत्रों के ताजातरीन AQI आंकड़े दिए गए हैं:
स्थान -संस्था -AQI -प्रमुख प्रदूषक -श्रेणीआनंद विहार, दिल्ली -DPCC -366 -PM2.5 -गंभीर (Severe)
सेक्टर-125, नोएडा -UPPCB -380 -PM2.5 -गंभीर (Severe)
ITO, दिल्ली -CPCB -344 -PM2.5 -बहुत खराब (Very Poor)
NISE ग्वाल पहाड़ी, गुरुग्राम -IMD -316 -PM2.5 - बहुत खराब (Very Poor)
सेक्टर-62, नोएडा -IMD -309 -PM2.5 - बहुत खराब (Very Poor)
मुरथल, सोनीपत -HSPCB -278 -PM2.5 -खराब (Poor)
IGI एयरपोर्ट (T3), दिल्ली -IMD -263 - PM2.5 - खराब (Poor)
न्यू इंडस्ट्रियल टाउन, फरीदाबाद -HSPCB -230 -PM2.5 - खराब (Poor)
आज सुबह सबसे खराब स्थिति आनंद विहार (AQI 366) और नोएडा सेक्टर 125 (AQI 380) में देखने को मिली। दोनों क्षेत्रों में हवा गंभीर श्रेणी में पहुँच गई है, जिसका मतलब है कि सामान्य लोग भी सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश महसूस कर सकते हैं। वहीं, बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा या अन्य श्वसन रोग से पीड़ित लोगों को घर से बाहर बिल्कुल नहीं निकलना चाहिए।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, शुक्रवार को राजधानी का AQI 331 दर्ज किया गया, जो पिछले दिन 304 था। अगले कुछ दिनों में सुधार की उम्मीद कम दिखाई दे रही है। सुबह से ही AQI 300 के पार था और दोपहर तक और बढ़ गया। CPCB के समीर ऐप के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी के 40 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 31 ने बहुत खराब एयर क्वालिटी दर्ज की। बवाना सबसे अधिक प्रदूषित इलाका रहा, जहां AQI 382 रिकॉर्ड किया गया।
IIT-पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में दिल्ली में वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का 13.7 से 15 प्रतिशत हिस्सा बनाता है, जो स्थानीय स्रोतों की तुलना में सबसे अधिक है।
मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार, हवा की गति कम होने और तापमान में गिरावट के साथ कोहरा बढ़ने से प्रदूषण के कण जमीन पर जम जाते हैं। हालांकि पराली जलाने का असर पहले की तुलना में कम है, लेकिन गाड़ियों का धुआं, निर्माण कार्य, उद्योग और सड़क की धूल अभी भी मुख्य कारण बने हुए हैं।