बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अब टिकट वितरण को लेकर हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीति लगभग तय कर ली है और 13 विधानसभा सीटों के संभावित उम्मीदवारों के नामों पर केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की सहमति बन गई है। हालांकि, महागठबंधन और एनडीए दोनों ही खेमों में सीट बंटवारे को लेकर पेचीदगियाँ अब भी बनी हुई हैं।
इन सीटों से उतर सकते हैं कांग्रेस के प्रमुख चेहरेमिली जानकारी के अनुसार, कुटुंबा सीट से बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम मैदान में उतर सकते हैं, जबकि कदवा सीट से कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान को टिकट मिलने की संभावना है। इसके अलावा किशनगंज से इजहारुल हुसैन, मनिहारी से मनोहर प्रसाद सिंह, मुजफ्फरपुर से विजेंद्र चौधरी, करहगर से संतोष मिश्रा और औरंगाबाद से आनंद शंकर सिंह का नाम भी फाइनल लिस्ट में शामिल बताया जा रहा है। ये सभी वर्तमान में सीटिंग विधायक हैं और पार्टी इन्हें दोबारा मौका देने की तैयारी में है।
नए चेहरों पर भी कांग्रेस का दांवकांग्रेस इस बार कुछ नई उम्मीदों पर भरोसा जताने के मूड में है। बेगूसराय से अमिता भूषण, बछवाड़ा से गरीब दास, रीगा से अमित कुमार टुन्ना, रोसड़ा से बीके रवि, वारिसलीगंज से सतीश कुमार, और चेनारी से मंगल राम को टिकट मिलने की पूरी संभावना है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इन सभी नामों पर आंतरिक सहमति बन चुकी है और जल्द ही कांग्रेस आधिकारिक लिस्ट जारी करेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी ने इस बार जमीनी कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोकप्रियता को प्राथमिकता दी है। एक नेता ने बताया — “हमारे उम्मीदवार जनता से जुड़े हुए हैं और बिहार में INDIA गठबंधन के विजन को लेकर प्रतिबद्ध हैं। जल्द ही सीटों की घोषणा की जाएगी।”
तेजस्वी यादव के वादे पर कांग्रेस का समर्थनविधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हाल ही में ऐलान किया था कि अगर INDIA गठबंधन की सरकार बनी, तो राज्य के हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के लिए कानून लाया जाएगा। इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा — “बिहार में INDIA गठबंधन की सरकार बनेगी। लगभग 55 विभागों में चार लाख से ज्यादा पद खाली हैं, और हम इन्हें भरने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे।”
एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे की खींचतानवहीं, सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी INDIA गठबंधन दोनों ही खेमों में सीट शेयरिंग को लेकर गहमागहमी जारी है। गुरुवार, 9 सितंबर 2025 को दोनों गठबंधनों के शीर्ष नेताओं के बीच लम्बी बातचीत हुई, लेकिन सभी दल अपनी-अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग पर अड़े रहे। ऐसे में अंतिम समझौते तक पहुंचने में अभी कुछ और दौर की चर्चा बाकी है।
बिहार की सियासत फिलहाल पूरे उफान पर है — जहां कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में जुटी है, वहीं महागठबंधन अपने साझा एजेंडे को मजबूत करने की कोशिशों में लगा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सा गठबंधन जनता के दिलों में अपनी जगह बना पाता है।