नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती महासंघ के गुरुवार (21 दिसंबर) को हुए चुनाव के बाद शुक्रवार (22 दिसंबर) को दिग्गज पहलवान बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखते हुए अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की बात कही, जिस पर खेल मंत्रालय ने कहा है कि यह उनका (पूनिया) निजी फैसला है।
सूत्रों के मुताबिक, खेल मंत्रालय ने कहा है कि डब्ल्यूएफआई का चुनाव निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से हुआ है। हम अब भी कोशिश करेंगे कि बजरंग पूनिया पद्मश्री लौटाने के फैसले को बदल दें।
बजरंग पुनिया ने कहा है कि हम बहन-बेटियों की लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन मैं उन्हें सम्मान नहीं दिला पाया, इसलिए मैंने यहां गेट पर अपना मेडल रख दिया है।
ये सम्मान मैं आपको लौटा रहा हूंबजरंग पूनिया ने अपने पत्र में कहा है, ''...जिन बेटियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था, उनको इस हाल में इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा। हम 'सम्मानित' पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं 'सम्मानित' बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाऊंगा। ऐसी जिंदगी कचोटती ताउम्र मुझे। इसलिए ये 'सम्मान' मैं आपको लौटा रहा हूं।''
ज्ञातव्य है कि गुरुवार को डब्ल्यूएफआई के चुनाव में सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह अध्यक्ष के रूप में चुने गए। इसके बाद पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती त्यागने का ऐलान किया था। उस समय बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट भी वहीं थे। एक दिन बाद बजरंग पूनिया ने पद्मश्री लौटाने की बात कही।
ये पहलवान लंबे समय से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। साक्षी मलिक समेत कई महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। कार्रवाई की मांग को लेकर पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई दिनों तक धरना भी दिया था।
साल 2019 में मिला था पद्मश्री29 वर्षीय बजरंग पूनिया को साल 2019 में पद्मश्री मिला था। पूनिया ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। बजरंग ने 2019 में कजाखिस्तान के नूर सुल्तान में आयोजित विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था। उस चैम्पियनशिप में बजरंग ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। यह विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में उनका तीसरा मेडल रहा। टोक्यो ओलंपिक 2020 में बजरंग से वैसे तो गोल्ड मेडल की आस थी, लेकिन उन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। 65 किलो भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल के मुकाबले में बजरंग पूनिया ने कजाखस्तान के पहलवान दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से मात दी थी।
फिर कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जीता गोल्डबजरंग पूनिया ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था। पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किलो भारवर्ग के फाइनल में बजरंग पूनिया ने कनाडा के एल. मैकलीन को 9-2 मात दी। बजरंग पूनिया का यह कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार दूसरा गोल्ड एवं ओवरऑल तीसरा मेडल था।
बजरंग पूनिया जीत चुके हैं इतने पदक
ओलंपिक- टोक्यो ओलंपिक 2020 (65 किलो): ब्रॉन्ज
वर्ल्ड चैम्पियनशिप- बुडापेस्ट 2018 (65 किलो): सिल्वर
- बुडापेस्ट 2013 (60 किलो): ब्रॉन्ज
- नूर-सुल्तान 2019 (65 किलो): ब्रॉन्ज
- बेलग्राद 2022 (65 किलो): ब्रॉन्ज
एशियन गेम्स- जकार्ता 2018 (65 किलो): गोल्ड
- इंचेयॉन 2014 (61 किलो): सिल्वर
कॉमनवेल्थ गेम्स- गोल्ड कोस्ट 2018 (65 किलो): गोल्ड
- बर्मिंघम 2022 (65 किलो): गोल्ड
- ग्लास्गो 2014 (61 किलो): सिल्वर
एशियन चैम्पियनशिप- नई दिल्ली 2017 (65 किलो): गोल्ड
- शियान 2019 (65 किलो): गोल्ड
- अस्ताना 2014 (61 किलो): सिल्वर
- नई दिल्ली 2020 (65 किलो): सिल्वर
- अल्माटी 2021 (65 किलो): सिल्वर
- उलानबटार 2022 (65 किलो): सिल्वर
- नई दिल्ली 2013 (60 किलो): ब्रॉन्ज
- बिशेक 2018 (65 किलो): ब्रॉन्ज
कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप- ब्राकपेन 2017 (65 किलो): गोल्ड
- सिंगापुर 2016 (65 किलो): गोल्ड