उप्पल स्टेडियम में अब नहीं रहेगा 'मोहम्मद अजहरुद्दीन स्टैंड', बदलेगा नाम, जानिए क्यों लिया गया यह फैसला

हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, उप्पल में स्थित ‘मोहम्मद अजहरुद्दीन स्टैंड’ का नाम अब बदलकर ‘वीवीएस लक्ष्मण पवेलियन’ कर दिया जाएगा। हैदराबाद क्रिकेट संघ (HCA) के आचार संहिता अधिकारी और लोकपाल, न्यायमूर्ति वी. ईश्वरैया ने शनिवार को यह आदेश जारी करते हुए कहा कि यह नामकरण हितों के टकराव (Conflict of Interest) का मामला है। इसी के तहत स्टेडियम टिकटों पर भी अजहरुद्दीन का नाम छापने पर रोक लगा दी गई है।

क्या है पूरा मामला?


Cricbuzz की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019 में HCA के अध्यक्ष पद पर रहते हुए मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अपेक्स काउंसिल की बैठक में यह निर्णय लिया था कि स्टेडियम के नॉर्थ पवेलियन स्टैंड का नाम ‘वीवीएस लक्ष्मण पवेलियन’ से बदलकर ‘मोहम्मद अजहरुद्दीन स्टैंड’ किया जाए। तब इस फैसले को लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं हुई थी, लेकिन अब इसे हितों के टकराव के रूप में देखा जा रहा है।

किसने उठाई आपत्ति?


हैदराबाद के लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब (LCC) ने इस साल फरवरी में इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए लोकपाल के समक्ष शिकायत दाखिल की थी। क्लब का तर्क था कि अपेक्स काउंसिल का कोई भी सदस्य अपने ही हित में कोई निर्णय नहीं ले सकता और यह HCA के नियम 38 का उल्लंघन है। LCC ने इसे एकतरफा और स्वार्थपूर्ण निर्णय करार देते हुए वीवीएस लक्ष्मण के नाम की पुनर्स्थापना की मांग की थी।

लोकपाल का फैसला क्या कहता है?

25 पेज के विस्तृत आदेश में जस्टिस ईश्वरैया ने कहा कि इस फैसले को HCA की जनरल बॉडी द्वारा कभी अनुमोदन नहीं मिला, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अजहरुद्दीन ने अपनी सीमाओं का उल्लंघन करते हुए यह निर्णय अपने फायदे के लिए लिया। उन्होंने आदेश दिया कि वीवीएस लक्ष्मण पवेलियन नाम को तत्काल प्रभाव से बहाल किया जाए और इसे सभी आधिकारिक दस्तावेज़ों, टिकटों और संचार में उपयोग किया जाए।

क्लब की प्रतिक्रिया

फैसले के बाद लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब ने राहत की सांस ली है। क्लब की कोषाध्यक्ष सोमना मिश्रा ने Sportstar से बातचीत में कहा, “यह फैसला पारदर्शिता और निष्पक्षता के हमारे विश्वास को मजबूत करता है। हम अधिकारियों के न्यायसंगत मूल्यांकन के लिए आभारी हैं।”

इस फैसले से न केवल हैदराबाद क्रिकेट में अनुशासन और नैतिकता की एक मिसाल कायम हुई है, बल्कि यह भी संदेश गया है कि संस्थानों में व्यक्तिगत लाभ के लिए लिए गए फैसलों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।