
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की लोकप्रिय फ्रेंचाइज़ी पंजाब किंग्स एक बार फिर विवादों के घेरे में है, लेकिन इस बार वजह मैदान का प्रदर्शन नहीं बल्कि टीम के मालिकों के बीच गहराता आपसी टकराव है। बॉलीवुड अभिनेत्री और टीम की सह-मालिक प्रीति जिंटा ने अपने साथी निदेशकों – मोहित बर्मन और नेस वाडिया – के खिलाफ चंडीगढ़ की एक अदालत में केस दर्ज करवाया है। यह मामला अब पंजाब किंग्स के प्रबंधन से जुड़ी पारदर्शिता, निर्णय-प्रक्रिया और कानूनी औचित्य पर सवाल उठा रहा है।
क्या है पूरा मामला?प्रीति जिंटा, मोहित बर्मन और नेस वाडिया केपीएच ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं – यही कंपनी पंजाब किंग्स की मालिक है। यह कंपनी 2008 में गठित हुई थी और तभी से आईपीएल में टीम का संचालन कर रही है। लेकिन हाल ही में 21 अप्रैल 2025 को हुई एक एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) इस विवाद की जड़ बन गई।
प्रीति जिंटा का दावा है कि यह बैठक बिना उनके उचित सहमति और कंपनी अधिनियम 2013 के नियमों का पालन किए बगैर आयोजित की गई। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने पहले ही 10 अप्रैल को एक ईमेल भेजकर इस बैठक पर आपत्ति जताई थी, जिसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
मुख्य विवाद: निदेशक की नियुक्ति और प्रक्रिया का उल्लंघनइस बैठक में एक नए निदेशक – मुनीश खन्ना – की नियुक्ति को लेकर फैसला लिया गया, जिसका प्रीति जिंटा और करण पॉल (एक अन्य निदेशक) ने कड़ा विरोध किया। जिंटा का कहना है कि यह निर्णय उनकी मर्जी के खिलाफ लिया गया और बैठक की पूरी प्रक्रिया ही गैरकानूनी थी।
उन्होंने अदालत से मांग की है कि:
• इस बैठक को अवैध घोषित किया जाए,
• मुनीश खन्ना को निदेशक के रूप में काम करने से रोका जाए,
• और कंपनी को इस बैठक में लिए गए किसी भी निर्णय को लागू करने से रोका जाए।
क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?यह विवाद ऐसे समय पर सामने आया है जब पंजाब किंग्स ने आईपीएल 2025 सीज़न में 11 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद प्लेऑफ में जगह बनाई है। टीम इस समय शानदार फॉर्म में है और 12 में से 8 मुकाबले जीतकर अंक तालिका में तीसरे स्थान पर है। कप्तान श्रेयस अय्यर और कोच रिकी पोंटिंग की अगुवाई में टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। बल्लेबाजी में नेहाल वढेरा और शशांक सिंह जैसे युवा खिलाड़ियों ने चमक दिखाई है, वहीं गेंदबाजी में हरप्रीत बरार ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है।
टीम की आक्रामक रणनीति और सकारात्मक वातावरण के बीच यह कानूनी विवाद आने वाले मैचों पर मनोवैज्ञानिक असर डाल सकता है। साथ ही, मालिकों के बीच बढ़ती दरार टीम के भविष्य की स्थिरता पर भी सवाल खड़े कर रही है।
क्या होगा आगे?अब यह मामला अदालत में है और सभी पक्षों को कानूनी प्रक्रिया का इंतजार है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रीति जिंटा की याचिका पर कोर्ट से कोई अंतरिम राहत मिलती है, और क्या पंजाब किंग्स के संचालन में किसी तरह का बदलाव किया जाएगा।
इस विवाद ने यह भी दर्शाया है कि क्रिकेट फ्रेंचाइज़ियों के संचालन में सिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि प्रबंधन और पारदर्शिता की अहम भूमिका होती है। आने वाले समय में यह मामला आईपीएल की अन्य टीमों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है कि कैसे आंतरिक मतभेदों को हल करना चाहिए।